महापुरुषों के नाम पर स्वार्थ की रोटियां सेंकने वाले सबसे बड़े गद्दारः राष्ट्रसंत पूज्य श्री कमल मुनि कमलेश
हुबली। महापुरुष किसी जाति,धर्म के नहीं होते वो राष्ट्र के लिए जीये है और राष्ट्र के लिए अपने प्राणों का बलिदान किया है उनके किये गये त्याग और बलिदान के कारण ही हम आजाद है इसलिए अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए उन दिव्य विभूतियों का अपमान करना बंद करें उक्त विचार हुबली स्थित जैन स्थानक में आयोजित धर्म सभा को संबोधित करते हुए राष्ट्रसंत पूज्य श्री कमल मुनि कमलेश ने व्यक्त किये। महाराज श्री ने आगे कहा कि महापुरुषों पर अपना एकाधिकार जताना, अपनी बपोती मानने वाले उनके सबसे बड़े शत्रु है। राष्ट्र संत कमल मुनि जी कमलेश ने संबोधित करते हुए कहा कि क्या महापुरुषों को हमने पैसे से खरीदा, क्या जन्म देकर बड़ा किया, उनको अपनी सीमा में कैद करने वाला नादान है। महाराज श्री ने आगे कहा कि आजकल एक ट्रेंड चल गया कि महापुरुषों को गाली दो और खबरों में बने रहो, इसके लिए मीडिया को भी चाहिए की वो इस प्रकार के गाली बाज नेताओं को अपने मंच पर ज्यादा भाव ना दे। इस प्रकार के दौगले नेताओं का ना तो दीन और ना ही ईमान। ये तो गिरगिट की तरह है।
उन्होंने कहा कि संपूर्ण मानवता का उन पर समान अधिकार होता है वह सूर्य के समान है वह उपासना के लिए है अधिकार के लिए नहीं। मुनि कमलेश ने बताया कि राम और रहीम कोई खतरे में नहीं है केवल और केवल ये वोट बैंक की भूख समाज में फूट डाल कर अपना उल्लू सीधा करने की फिराक में रहते है। महापुरुषों के नाम पर स्वार्थ की रोटियां सेकने वाले उनको बांटने वाले सबसे बड़े गद्दार हैं।
राष्ट्रसंत ने स्पष्ट कहा कि महापुरुष का अपमान करना सूर्य पर धूल फेंकने के समान है उनका अपमान होता ही नहीं है वह तो गाली देने वाले को भी आशीर्वाद देते हैं। महाराज श्री ने आगे कहा कि इस वक्त स्वार्थी लोग अपनी राजनीतिक रोटियाँ सेकने के लिए, एक वर्ग विशेष को खुश करने के लिए अनर्गल बयान बाजी करके मीडिया में बने रहते है लेकिन वो इतना भूल जाते है कि महापुरुषों के कारण ही वो इतना बोल पाते है क्योंकि ये बोले ने की आजादी उन्हें दिव्य आत्माओं के त्याग ओर बलिदान से मिली है।
महाराज श्री ने कहा कि जो देश के महापुरुषों और स्वतंत्रता सेनानियों का सम्मान नहीं कर सकता उसके लिए समाज में कोई जगह नहीं हो सकती। जिन्होंने भारत की आस्था पर हमला किया, जिन्होंने भारत और भारतीयता से नफरत की, जिन्होंने भारत की बहनों और बेटियों के सम्मान को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की, जिन्होंने भारत की सनातन संस्कृति को रौंदा, जो भारत की आस्था को कुचल रहे थे, वे कभी भी भारत के लिए आदर्श नहीं हो सकते, वे कभी भी भारत के नागरिकों के लिए आदर्श नहीं हो सकते।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मुझे विश्वास है कि इस बयान के बाद उन लोगों में भी छत्रपति शिवाजी महाराज, महाराणा प्रताप, गुरु गोविंद सिंह जी महाराज और भारत के इन महान योद्धाओं, महान भारत के महान क्रांतिकारियों के प्रति सम्मान की भावना पैदा होगी और वे भारत को महान बनाने में अपना योगदान देंगे।’’
जैन संत ने कहा कि भक्ति त्याग सेवा साधना के मार्ग पर निस्वार्थ भावों से से चलना सच्चे धर्म का पालन करने के समान है। अखिल भारतीय जैन दिवाकर विचार मंच नई दिल्ली महिला शाखा की राष्ट्रीय अध्यक्ष मंगला भंडारी नासिक से यहां आकर वीरांगना शंखनाद किया।