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सरकार युद्ध से संबंधित खबरों के प्रसारण पर लगाए रोक, सिर्फ विदेश मंत्रालय की प्रेस कॉन्फ्रेंस में दी गई जानकारी को ही प्रसारित करने की हो छूट
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पाकिस्तान से युद्ध के दौरान भी टीवी न्यूज़ चैनलों पर चल रही फर्जी खबरों को रोकने का एक ही उपचार है,सरकार सभी चैनलों पर इस तरह की खबरों के प्रसारण पर रोक लगा दे। उन्हीं खबरों को प्रसारित करने के आदेश दें,जिसे विदेश मंत्रालय अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताता है। दिन भर डिफेंस एक्सपर्ट के नाम पर पूर्व सैनिक अधिकारियों को बैठाकर बकवास करना बंद कर दें। वरना ये एंकर और पूर्व सैन्य अधिकारी स्टूडियो में बैठे-बैठे पाकिस्तान पर भारत का कब्जा करा देंगे और भारतीय सेना को ही पता नह़ी लगेगा। जैसा शुक्रवार सुबह हुआ। पहले गुरुवार रात की इन टीवी चैनलों की हैडलाइन पढिए।
◆ इस्लामाबाद पर कब्जा हुआ।
◆ भारतीय सेना पाकिस्तान में घुसी।
◆बंकर में छिपे शाहबाज शरीफ।
◆ भारतीय सेना ने कराची पोर्ट तबाह किया।
◆ राजौरी में फिदायीन अटैक
◆ पाकिस्तानी आर्मी चीफ मुनीर गिरफ्तार।
◆ भारतीय फाइटर जेट जम्मू से रवाना हुए
रात भर इन खबरों को देखकर हर देशवासी का सीना गर्व से फूला जा रहा था कि भारतीय सेना ने कितनी जल्दी पाकिस्तान को घुटनों पर ला दिया है। लेकिन जब सुबह के अखबारों में, जो आज भी जिम्मेदारी और विश्वसनीयता में न्यूज़ चैनलों से आगे हैं, ऐसी कोई खबर नजर नहीं आई। तब पता चला कि देशवासी रात पर फर्जी खबरों की मिसाइल और ड्रोन अटैक झेल रहे थे। रातभर आज तक,टाइम्स नाउ,न्यूज 18, जी न्यूज़,इंडिया टीवी,रिपब्लिक भारत,एबीपी, टीवी9 भारतवर्ष सहित अन्य टीवी चैनलों पर इस तरह की फर्जी खबरें दिखाने का मानो कंपटीशन चल रहा था। इन चैनल वालों ने युद्ध को भी अपनी टीआरपी बढ़ाने का साधन बना लिया। ज़ी न्यूज़ इनमें सबसे अव्वल रहा और उसकी खबरें तो इस स्तर तक पहुंच गई कि उससे पाकिस्तान भी घबरा गया। उसके एंकर ही चीख करके कह रहे थे कि ज़ी न्यूज़ के कवरेज से पाकिस्तान घबरा गया है। इन चैनलों ने युद्ध को भी राजनीतिक आयोजन समझ लिया है। ना देश के प्रति जिम्मेदारी का अहसास, ना लोगों के प्रति। विश्वसनीयता तो ये चैनल पहले ही खो चुके हैं। आज तक ने तो अपनी फर्जी रिपोर्टिंग के लिए माफी मांग ली है। आज तक ने तो गजब भी कर दिया था, जब उसने एक वीडियो गेम दिखाकर कर यह बताया था कि भारत में कितनी मिसाइलें पाकिस्तान पर दाग दी है। टीवी चैनलों की फर्जी खबरों की चपेट में केंद्रीय मंत्री किरण रिजूजू खुद आ गए,जब उन्होंने भारतीय नौसेना ने कराची में किया हमला, को ट्वीट कर दी।
टीवी स्टूडियो में गूंजती ब्रेकिंग न्यूज़ के लिए सायरन की आवाज और चीखते चिल्लाते एंकर हैं। उन पर अपनी विशेष राय रखते पूर्व सैनिक अधिकारी ऐसा माहौल बना देते हैं,मानो वह खुद युद्धस्थल में किसी मौके पर मौजूद हो। मिसाइल छोड़ने व ड्रोन गिरने की खबरें इतनी चिल्ला चिल्लाकर बताते हैं कि जितना असर हथियारों का मौके पर होता होगा,उससे ज्यादा असर इनके चीखने से घर में खबरें देख रहे लोगों के कानों में होता है।
वैसे कल विभिन चैनलों पर चली फर्जी खबरों के फैक्ट चैक में यह बात भी सामने आई है कि आज तक ने 77 प्रतिशत,एबीपी न्यूज़ में 78, जी न्यूज़ व TV9 ने 87 प्रतिशत, टाइम्स नाउ ने 89 और सुदर्शन न्यूज़ में 90% फेक न्यूज़ चलाई।
इस तरह की खबरों को दिखाना इसलिए भी गैरजिम्मेदाराना है इससे दुश्मन को ये पता चलता है कि हमारी सेनाएं क्या कर रही है। इससे देश की संप्रभुता भी खतरे में पड़ती है। क्योंकि भले ही खबरें फर्जी हो, लेकिन इससे सामने वाले को सतर्क और सजग देने का अवसर तो मिल ही जाता है। भारतीय सेना दुश्मन को निपटाने में सक्षम है। उसे हमारे मीडिया की फर्जी खबरों के सहारे की जरूरत नहीं है। सरकार को भी चाहिए कि वह ऐसे गैर जिम्मेदाराना न्यूज़ चैनलों को चेतावनी दे और अगर फिर भी ये बंद नहीं होता, तो इन्हें बैन किया जाए। लेकिन सवाल यही है कि इन चैनलों को तो खुद सरकार का संरक्षण मिल रहा है।
-साभार
ओम माथुर की कलम से