Saturday, May 31, 2025
Google search engine
Homeधर्म कर्मप्रेरक प्रसंगः ब्राह्मण बड़ा या संत

प्रेरक प्रसंगः ब्राह्मण बड़ा या संत

प्रेरक प्रसंगः ब्राह्मण बड़ा या संत

पूर्व समय की बात है एक बार ब्राह्मण और संत में बहस हो गई ।

संत बोले हम श्रेष्ठ हैं और ब्राह्मण बोले हम श्रेष्ठ है ।

संत बोले प्रभु की प्राप्ति के लिए हम अपने जन्मदाता माता-पिता का त्याग करते हैं साथ ही इस संसार के सभी संबंधों का त्याग करके प्रभु से नाता जोड़ते हैं इसलिए हम श्रेष्ठ हैं।

ब्राह्मण बोले हम अपना संपूर्ण जीवन समाज के लोगों के जीवन के दुख दूर करने तथा धर्म राष्ट्र संस्कृति के उत्थान के लिए अपना पूरा जीवन व्यतीत करते हैं इसलिए हम श्रेष्ठ हैं।

विवाद बढ़ते बढ़ते इतना बढ़ गया कि संत तथा ब्राह्मण ब्रह्मा जी के पास पहुंचे संतो ने ब्रह्मा जी को प्रणाम किया साथ ही ब्राह्मणों ने भी ब्रह्मा जी को प्रणाम किया।

ब्रह्मा जी ने प्रसन्नचित्त से संतो तथा ब्राह्मणों से आगमन का कारण पूछा…
संत बोले प्रभु हम दोनों आप ही की संतान हैं…
परंतु हम दोनों में से श्रेष्ठ कौन है यह जानने की जिज्ञासा है।

ब्रह्मा जी बोले संत तथा ब्राह्मणों की महिमा तो वेदों ने भी गायी है
संत हृदय नवनीत समाना… अर्थात संतों का हृदय तो मक्खन की तरह होता है।

संत दरस जिमि पातक टरहिं… अर्थात यदि आपको परिपूर्ण आचरण वाले संत के दर्शन प्राप्त होते हैं तो जीवन के सभी दुख दूर होते हैं।

परंतु संत तथा ब्राह्मण मैं श्रेष्ठ कौन है इसके लिए केवल यही कहूंगा कि…
ब्राह्मण को केवल हम बना कर भेजते हैं…
परंतु संत को बनाने वाला ब्राह्मण ही होता है…

जब ब्राह्मण सन्यास का संकल्प बोलते हैं…
तभी एक आम व्यक्ति संत का चोला धारण करता है…

तीनों वर्णों में जन्मा व्यक्ति संत तो बन सकता है परंतु ब्राह्मण कदापि नहीं बन सकता…

साथ ही एक बात और कहना चाहूंगा ब्राह्मण कुल में जन्म लेने के लिए श्रेष्ठ कर्म करने पड़ते हैं… तभी उसके प्रारब्ध कर्म इतने सामर्थ्यवान होते हैं कि व्यक्ति को ब्राह्मण कुल में जन्म मिलता है।

प्रमाण मिलता है कि विश्वामित्र का जन्म क्षत्रिय कुल में हुआ था अपना संपूर्ण जीवन व्यतीत करने पर भी वह ब्राह्मण नहीं बन पाए परंतु अपने श्रेष्ठ कर्मों के अनुसार वह ब्रह्मर्षि बनने में सफल रहे परंतु ब्राह्मण नहीं
संत तथा ब्राह्मणों में श्रेष्ठ ब्राह्मण ही है। जिनको परमात्मा ही बना कर भेजते हैं, संत तो नीचे कोई भी बन सकता है
संपूर्ण पृथ्वी पर ब्राह्मण से श्रेष्ठ केवल ब्राह्मण संत ही है।

बाबा तुलसीदास जी ने भी लिखा है

वंदऊं प्रथम महिसुर चरना, मोह जनत संशय सब हरना ||
सुजन समाज सकल गुण खानी, करऊं प्रणाम सप्रेम सुवानी ||

पहले पृथ्वी के देवता ब्राह्मणों के चरणों की वंदना करता हूं जो अज्ञान से उत्पन्न सब संदेहों को हरने वाले हैं…
सब गुणों की खान संत समाज को प्रेम सहित सुंदर वाणी से प्रणाम करता हूं।

-साभार

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments