‘प्रताप और शिवाजी एक साथ होते तो और गौरवशाली होता भारत’, राजस्थान के राज्यपाल बोले- महापुरुषों पर बोलना सूरज को दीपक दिखाने जैसा
उदयपुर। प्रताप गौरव केन्द्र ‘राष्ट्रीय तीर्थ’ में वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप की जयंती की पूर्व संध्या पर आयोजित समारोह में राजस्थान के राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े ने कहा कि प्रताप जैसे महापुरुषों पर बोलना सूरज को दीपक दिखाने जैसा है। उन्होंने महाराणा प्रताप को भारतीय स्वाभिमान का प्रतीक बताते हुए उनके अदम्य साहस, अपराजेय शौर्य और राष्ट्रभक्ति को इतिहास की दिशा बदलने वाला बताया।
राज्यपाल ने युवाओं से आह्वान किया कि वे प्रताप के जीवन से प्रेरणा लें। उन्होंने कहा कि यदि महाराणा प्रताप और छत्रपति शिवाजी एक ही युग में होते, तो भारत का इतिहास और भी गौरवशाली होता। उन्होंने यह भी कहा कि मेवाड़ की धरती ने सदैव राष्ट्रधर्म के लिए संघर्ष किया है और यहां की हवाओं में देशभक्ति बसी हुई है।
इतिहास की पुनर्व्याख्या की आवश्यकता
राज्यपाल ने इस बात पर चिंता जताई कि इतिहास में अकबर का अधिक वर्णन है जबकि प्रताप जैसे राष्ट्रनायक को सीमित रूप में दर्शाया गया है। उन्होंने प्रताप गौरव केन्द्र की सराहना करते हुए कहा कि यह केन्द्र प्रताप की गाथा को जन-जन तक पहुंचाने का यशस्वी कार्य कर रहा है।
प्रताप विचार की अखंड धरोहर हैं: प्रफुल्ल केतकर
‘ऑर्गेनाइज़र’ पत्रिका के सम्पादक प्रफुल्ल केतकर ने अपने भाषण में कहा कि महाराणा प्रताप और अकबर की लड़ाई उपासना नहीं, विचारधाराओं का संघर्ष थी। उन्होंने प्रताप के सुशासन की वर्तमान संदर्भ में व्याख्या की आवश्यकता पर बल दिया।
इतिहास के सच्चे स्वरूप को सामने लाएं: मदन राठौड़
राज्यसभा सांसद मदन राठौड़ ने कहा कि महाराणा प्रताप की जीवनगाथा राष्ट्रभक्ति, त्याग और आत्मसम्मान की अमर प्रेरणा है। उन्होंने कहा कि इतिहास को तोड़ा-मरोड़ा गया है, जिससे नई पीढ़ी अपने मूल से दूर हो रही है। ऐसे में हमें प्रताप जैसे महापुरुषों से प्रेरणा लेकर समाज में राष्ट्र चेतना जगानी होगी। तेज वर्षा के बावजूद समारोह में भारी संख्या में जनसमूह की उपस्थिति यह दर्शाती है कि महाराणा प्रताप के प्रति जनआस्था और राष्ट्रभक्ति की भावना आज भी उतनी ही प्रबल है।