सीजफायर के बाद क्यों बौखलाए बैठे हो?
भारत ने सिंदूर का बदला बारुद में मिलाकर लिया है।
अब कांग्रेस को बेचैनी क्यों? “कांग्रेसी चमचों” को बता दूँ कि हम POK वापिस लेंगे चाहे उसके लिए जान भी क्यों ना देना पड़े…
लेकिन ये ऑपरेशन POK के लिए नहीं था, बल्कि बेटियां के सिंदूर मिटाने वाले दरिंदों को बारूद में मिलाने का ऑपरेशन था।
हमारी सेना ने इस ऑपरेशन को सफलता पूर्वक बहादुरी के साथ अंजाम दिया है। सिर्फ आतंकी कैंप ही नहीं, आतंकियों के बचाव में आई पाकिस्तानी सेना के बेस भी बारुद में मिलाए गये हैं।
अगर कांग्रेस चाहती है कि भारत POK ले ले तो एक बार देश के सामने आए और बताए कि नेहरू जी जो POK थाली में सजाकर पाकिस्तान को दिए थे।
इंदिरा जी ने POK तब वापस क्यों नहीं लिया जब मुफ्त में 93000 पाकिस्तानी फौजियों को छोड़ दिया था। नेहरू जी ने सिंधु जल समझौता करते समय POK वापिस क्यों नहीं लिया..?
खैर…….पाकिस्तान के साथ जो साढ़े तीन दिन का ऑपरेशन हुआ, उसे लेकर कांग्रेस ने ऐसा हंगामा कर रखा है जैसे देश को कोई जानकारी ही नहीं दी गई।
रोज़ कांग्रेस का एक नया नेता आता है,
एक नया सवाल करता है।
अरे भाई!
देश अभी ऑपरेशन सिंदूर की आँच में तप रहा है,
थोड़ा सब्र करो।
पहले उरी हुआ, भारत ने सर्जिकल स्ट्राइक किया। फिर पुलवामा के बाद एयरस्ट्राइक किया। दोनों बार पाकिस्तान के पास जवाब देने की हिम्मत नहीं थी।
लेकिन इस बार मुनीर ने जोश में होश खोया। भड़काऊ बयान दिया, और आतंकियों को भेज कर पहलगाम में बेटियों के सिंदूर से खिलवाड़ करवा दिया। भारत ने भी पलटवार किया।
पहले नौ आतंकी ठिकाने उड़े, फिर पाकिस्तान की पूरी फौज आई तो भारत ने 11 एयरबेस तबाह कर दिए। जैसे ही पहलगाम का बदला पूरा हुआ, पाकिस्तान के डीजीएमओ हाथ जोड़ने लगे और सीजफायर की भीख मांग ली।
यही सच्चाई है….
अब सवाल ये है कि कांग्रेस अगर ऑपरेशन सिंदूर को समर्थन दे रही थी, तो फिर अब रोज़-रोज़ सवाल क्यों पूछ रही है?
क्या ये वही पार्टी है जिसने खुद कहा था कि सरकार को इस संघर्ष में फुल सपोर्ट है? अगर समर्थन कायम है तो सवाल क्यों? और अगर समर्थन वापस ले लिया है तो खुलकर कहो।
ये आधा-अधूरा खेल मत खेलो।
साफ बात ये है कि सरकार ने विपक्ष को बुलाकर सर्वदलीय बैठक में सब बताया। विदेश सचिव से लेकर रक्षा मंत्रालय तक, सबने हर बिंदु पर जानकारी दी। फिर भी कांग्रेस कह रही है कि हम कन्फ्यूज़ हैं। असली कन्फ्यूज़न जनता में नहीं, कांग्रेस के दिमाग में है।
क्या ये वही पार्टी है जिसने खुद कहा था कि सरकार को इस संघर्ष में फुल सपोर्ट है? अगर समर्थन कायम है तो सवाल क्यों? और अगर समर्थन वापस ले लिया है तो खुलकर कहो।
ये आधा-अधूरा खेल मत खेलो।
साफ बात ये है कि सरकार ने विपक्ष को बुलाकर सर्वदलीय बैठक में सब बताया। विदेश सचिव से लेकर रक्षा मंत्रालय तक, सबने हर बिंदु पर जानकारी दी। फिर भी कांग्रेस कह रही है कि हम कन्फ्यूज़ हैं। असली कन्फ्यूज़न जनता में नहीं, कांग्रेस के दिमाग में है।
सवाल पूछने का वक्त नहीं है। ये वो वक्त है जब हर भारतीय को एक स्वर में बोलना चाहिए कि जो देश से टकराएगा, वो मारा जाएगा।
तो कांग्रेस वालों, फैसला करो।
देश के साथ हो या उन ताकतों के साथ जो भारत को कमजोर देखना चाहती हैं। क्योंकि ये वक्त न सियासत का है, न ड्रामे का। ये वक्त है सुदर्शन के वार का, जो चल चुका है और अब रुकेगा नहीं।
-साभार