Saturday, May 24, 2025
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प्रकृति का दुश्मन है प्लास्टिकः राष्ट्रसंत कमल मुनि कमलेश

एक तरफ प्लास्टिक से मुक्ति का अभियान चलाया जाता है दूसरी और प्लास्टिक उद्योग को बढ़ावा दिया जा रहा है। प्लास्टिक प्रदूषण से निपटने के लिए कथनी और करनी का यह अंतर समाप्त करना होगा और प्लास्टिक कचरे के निस्तारण की ठोस योजना बनाकर उसपर अमल करना होगा। साथ ही प्लास्टिक का विकल्प तैयार करने के शोध को प्रोत्साहित करना होगा।

प्रकृति का दुश्मन है प्लास्टिकः राष्ट्रसंत कमल मुनि कमलेश

चितुर आंध्र प्रदेश पी.ई.एस.विद्यालय 24 मई 2025

पर्यावरण, आर्थिकता और स्वास्थ्य का कट्टर शत्रु है प्लास्टिक,  जो अत्यंत घातक और खतरनाक है उक्त विचार राष्ट्र संत कमल मुनि जी कमलेश ने पी.ई.एस.विद्यालय में  पर्यावरण  सम्मेलन को संबोधित करते हुए व्यक्त किये। प्लास्टिक से  धरती बंजर हो जाती है। ये ना तो सड़ती नहीं, ना गलती नहीं और ना ही नष्ट होती, जलने पर जहरीले इसकी गैस वायुमंडल को प्रदूषित करती है।

प्लास्टिक प्रदूषण कितना घातक सिद्ध हो रहा है ,अब यह बात किसी से छुपी नहीं है। यह जमीन ही नहीं, समुद्र को भी प्रदूषित कर रहा है। माइक्रोप्लास्टिक के रूप में जो खतरा सामने आ रहा है उससे वैज्ञानिक भी चिंतित नजर आ रहे हैं। रक्त, फेफड़े, यकृत, मस्तिष्क ही नहीं गर्भ तक माइक्रो प्लास्टिक पहुंच चुका है। जब बड़े पैमाने पर प्लास्टिक प्रदूषण फैला हुआ है तो दूसरे जीन भी कैसे सुरक्षित रह सकते है। इसलिए गाय,हाथी को प्लास्टिक की वजहों से हो रहे नुकसान की खबरों पर आश्चर्य नहीं होना चाहिए। जानवरों के पेट में भी बड़ी मात्रा में प्लास्टिक जमा होने के मामले प्रकाश में आ रहे हैं।

एक तरह से प्लास्टिक सर्वव्यापी सा हो गया है।जिसमें खतरे का एक पहलू यह भी है कि भारत में प्लास्टिक प्रदूषण के मामले भारत दुनिया में पहले स्थान पर है। नेचर जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन में बताया गया था कि उच्च आय वाले देशों में प्लास्टिक कचरा उत्पादन दर अधिक है, लेकिन वहां प्लास्टिक के नियंत्रित निपटान की व्यवस्था है। इसलिए वहां प्लास्टिक प्रदूषण कम है। भारत इस मामले में बहुत पीछे है। प्लास्टिक प्रदूषण जिस तेजी से बढ़ रहा है उससे पूरी पृथ्वी को ही खतरा पैदा हो गया है। यही वजह है कि प्लास्टिक का इस्तेमाल कम से कम करने और प्लास्टिक कचरे के निस्तारण पर जोर दिया जा रहा है।

इस वर्ष 5 जून को मनाए जा रहे अंतराष्ट्रीय पर्यावरण दिवस की थीम भी प्लास्टिक से जुड़ी हुई है। पर्यावरण,वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने विश्व पर्यावरण दिवस के पूर्व एक राष्ट्र, एक मिशनः प्लास्टिक प्रदूषण समाप्त करें…अभियान भी शुरु कर दिया है। यह अभियान प्लास्टिक प्रदूषण के खतरों के बारे में जागरूकता पैदा करने और पर्यावरण के अनुकूल विकल्पों को अपनाने को प्रोत्साहन देने पर केंद्रित रहेगा।

प्लास्टिक से मुक्ति के लिए अभियान चलते रहते हैं लेकिन इनका खास असर नजर नहीं आता। आम जन अब भी प्लास्टिक से पैदा हो रहे खतरे को समझ नहीं पा रहा। असल में प्लास्टिक अपने विभिन्न रूपों  में लोगों की जीवनशैली में घुलमिल गया है। सुविधाजनक सस्ता और आकर्षक होने की वजह से प्लास्टिक हर वर्ग को ळुभाता है। अब तो इमारतों की साज-सज्जा में भी प्लास्टिक का खूब इस्तेमाल हो रहा है। एक तरफ प्लास्टिक से मुक्ति का अभियान चलाया जाता है दूसरी और प्लास्टिक उद्योग को बढ़ावा दिया जा रहा है। प्लास्टिक प्रदूषण से निपटने के लिए कथनी और करनी का यह अंतर समाप्त करना होगा और प्लास्टिक कचरे के निस्तारण की ठोस योजना बनाकर उसपर अमल करना होगा। साथ ही प्लास्टिक का विकल्प तैयार करने के शोध को प्रोत्साहित करना होगा।

 

उन्होंने सरकार की दोहरी नीति पर कड़े प्रहार करते कहा कि प्लास्टिक थैली के उपयोग पर प्रतिबंध लगाया उत्पादन पर क्यों नहीं। यदि उत्पादन पर लगा देते तो समस्या हल हो जाती ना रहेगा बांस ना बजे की बांसुरी।
मुनि कमलेश ने बताया कि खाद्य सामग्री प्लास्टिक थैली में लेने पर केमिकल से कारण कैंसर जैसे रोगों को खुला निमंत्रण देना है विज्ञान और डॉक्टर ने सिद्ध कर दिया है।
राष्ट्र संत ने कहा कि पॉलीथिन थैली से गली-गली कत्ल खाना हो रहा है जिसे खाकर सैकड़ो पशु अकाल मौत के शिकार हो रहे हैं, समुद्र में भी जल प्राणी प्राण गंवा रहे हैं। गौ माता के पेट में से 50 और 60 किलो पॉलिथीन थैली निकल रही है।
जैन संत ने कहा कि एक गाय को मारे तो हंगामा खड़ा हो जाएगा, हजारों जनता रोड पर आ जाएगी। प्लास्टिक थैली रोड पर डालने वाला भी कसाई से कम नहीं है हम थैली खिलाकर गौ माता करने का पाप कमा रहे है, दूसरा हथियार से मार रहा है दोनों में क्या अंतर रहेगा।
अंत ने कहा कि सभी धार्मिक, सामाजिक, राजनीतिक संगठनों को मिलकर प्लास्टिक हटाओ विश्व बचाओ अभियान को प्राथमिकता देनी चाहिए। मुंबई में सरकार ने स्वीकार किया पॉलीथिन थैली से नाला पैक होने पर बाढ़ का प्रकोप आया। कम से कम धर्म गुरुओं को धार्मिक स्थल में प्रसाद लेने और देने पर तत्काल प्लास्टिक प्रतिबंध लगाना चाहिए, तभी अहिंसा के सच्चे पुजारी बनेंगे।
जैन श्रावक संघ चित्तूर के वरिष्ठ कार्यकर्ता सुभाष तातेड़ सुनील बोहरा, ललित बुरड़, कन्हैयालाल फुल फगर, एवंत बोहरा, प्रवीण बोकारिया, कमलेश सकलेचा, मोहनलाल हरण, आनंद तातेड़ सभी ने बिहार सेवा का लाभ लिया। 25 मई को मुनि कमलेश के सानिध्य में चित्तूर में आई कैंप का आयोजन किया जाएगा तथा प्रार्थना 9:00 बजे होगी।

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