पाकिस्तान प्रायोजित आंतकवाद के खिलाफ एकजुट भारत: शशि थरूर का प्रतिनिधिमंडल में शामिल होना एक राष्ट्रहित का कदम
भारत और पाकिस्तान के बीच संबंध दशकों से तनावपूर्ण रहे हैं, और इसका सबसे बड़ा कारण पाकिस्तान द्वारा लगातार प्रायोजित आतंकवाद है। भारत कई बार अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान की इस गतिविधियों को उजागर करता रहा है, लेकिन इस बार एक महत्वपूर्ण और विशेष बात यह है कि सरकार के प्रतिनिधिमंडल में विपक्ष के वरिष्ठ नेता और कांग्रेस सांसद शशि थरूर को भी शामिल किया गया है। यह न केवल राजनीतिक परिपक्वता का संकेत है, बल्कि एक ऐसा कदम है जो राष्ट्रीय हितों को राजनीति से ऊपर रखता है।
शशि थरूर की भूमिका और अनुभव
शशि थरूर एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता होने के साथ-साथ पूर्व अंतरराष्ट्रीय राजनयिक भी हैं। संयुक्त राष्ट्र में अपनी वर्षों की सेवा और वैश्विक मंचों पर उनकी पकड़ उन्हें इस प्रतिनिधिमंडल में एक उपयुक्त और प्रभावशाली सदस्य बनाती है। उनका भाषाई कौशल, वैश्विक सोच और डिप्लोमैटिक अनुभव भारत की बात को अधिक प्रभावशाली ढंग से दुनिया के सामने रखने में मदद करेगा।
जब सरकार ऐसे अनुभवी और विपक्षी नेताओं को अपनी कूटनीतिक रणनीति में शामिल करती है, तो यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की लोकतांत्रिक मजबूती और एकता को भी दर्शाता है। शशि थरूर की उपस्थिति से यह संदेश जाएगा कि भारत आंतकवाद जैसे गंभीर मुद्दे पर पूरी तरह एकजुट है, चाहे वह सरकार हो या विपक्ष।
10 दिनों में कई देशों का दौरा: वैश्विक रणनीति
इस प्रतिनिधिमंडल की योजना अगले 10 दिनों में कई देशों का दौरा करने की है, जिसमें वे पाकिस्तान प्रायोजित आंतकवाद के ठोस सबूत पेश करेंगे। इस दौरे का मुख्य उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय समुदाय को यह स्पष्ट करना है कि पाकिस्तान किस तरह आंतकी संगठनों को पनाह और समर्थन देता है, जिससे न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया की शांति और सुरक्षा को खतरा है।
भारत ने अतीत में भी ऐसे प्रयास किए हैं, लेकिन इस बार एक संगठित, तथ्यों पर आधारित और द्विदलीय समर्थन से यह अभियान ज्यादा असरदार होने की उम्मीद है। यह कदम अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाने की दिशा में एक बड़ी पहल हो सकती है, जिससे पाकिस्तान को आतंक के खिलाफ सख्त कदम उठाने के लिए मजबूर किया जा सके।
राजनीति से ऊपर उठना: एक सराहनीय उदाहरण
भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में अक्सर राजनीति हर मुद्दे पर हावी हो जाती है, लेकिन जब राष्ट्रीय सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीय छवि की बात आती है, तो दलगत राजनीति से ऊपर उठना अनिवार्य हो जाता है। शशि थरूर का इस प्रतिनिधिमंडल में शामिल होना इस बात का उदाहरण है कि जब देशहित की बात हो, तो विपक्ष और सत्ता पक्ष एक साथ खड़े हो सकते हैं।
इस पहल से विपक्षी दलों को भी यह संदेश जाता है कि सरकार केवल सत्ता के दायरे में रहकर काम नहीं कर रही, बल्कि राष्ट्रीय मुद्दों पर सभी दलों की भागीदारी चाहती है। इससे लोकतांत्रिक संवाद को मजबूती मिलती है और आम जनता का विश्वास भी शासन प्रणाली पर बढ़ता है।
क्या यह कदम देशहित में है?
इस सवाल का जवाब स्पष्ट रूप से “हां” है। पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के मुद्दे पर वैश्विक समर्थन जुटाना भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और कूटनीतिक रणनीति का अहम हिस्सा है। और जब इस प्रयास में सरकार सभी राजनीतिक विचारधाराओं को साथ लेकर चल रही है, तो यह सिर्फ एक राजनीतिक या कूटनीतिक कदम नहीं, बल्कि देश की सुरक्षा और प्रतिष्ठा की दिशा में एक ठोस प्रयास बन जाता है।