मनुष्य के विवेक को खा जाती है दुर्भावनाः राष्ट्रसंत कमल मुनि कमलेश
मूलबागल जैन स्थानक भवन 22 मई 2025
जिसके निमित्त से हमारे दिलों में दुर्भावना का निर्माण होता है अगले का नुकसान हो या ना हो उस ज्वाला में सब सद्गुण जलकर नष्ट हो जाते हैं उक्त विचार राष्ट्र संत कमल मुनि जी कमलेश ने धर्म सभा को संबोधित करते हुए प्रकट किये। महाराज श्री ने कहा कि परमाणु बम तो बाहरी वस्तु और शरीर का नुकसान कर सकता है परंतु आत्मा का कुछ नहीं बिगाड़ सकता, दुर्भावना उसे अनंत गुना ज्यादा खतरनाक है। दुर्भावना का बम जिससे आत्मा का पतन कर्मों का बंधन विचारों में प्रदूषण और शरीर रोगों का घर बनता है।
उन्होंने कहा कि दुर्भावना को दुर्भावना से खत्म करने का प्रयास करना आग को आग से बुझाने के समान माना जाएगा। सद्भावना के निर्मल पानी से ही दुर्भावना को समाप्त किया जा सकता है।
मुनि कमलेश ने बताया कि विश्व के सभी धर्म के महापुरुषों ने दुर्भावना रहते हुए धार्मिकता में प्रवेश की इजाजत नहीं दी है, इसके त्याग के बिना मानवता का विकास नहीं हो सकता।
राष्ट्र संत ने कहा कि हमारी दुर्भावनाओं का प्रभाव इंसान तो क्या, पशु-पक्षी और संपूर्ण प्रकृति पर पड़ता है। अशांति, तनाव और टकराव का मुख्य कारण यही है।
जैन संत ने कहा कि सज्जन और धार्मिक आत्मा में दुर्भावना का प्रवेश हो जाता है तब शैतान और राक्षस बन जाता है। दुर्भावना को जीतने वाला विश्व विजेता से बढ़कर है। घनश्याम मुनि जी, कौशल मुनि जी ने मंगलाचरण किया। अक्षत मुनि जी, सक्षम मुनि जी ने विचार व्यक्त किया।
राष्ट्र संत ने प्रवचन के पश्चात चित्तूर होकर चेन्नई की ओर प्रस्थान किया। 8 जून को नगर प्रवेश और 29 जून को साहूकार पेट चेन्नई का मंगल प्रवेश है। आनंद भंसाली, कमल भंसाली ,अनिल राका, जितेश रांका सभी ने बिहार सेवा का लाभ लिया।