साधना करने का समान अधिकार हैः राष्ट्रसंत कमल मुनि कमलेश
मूलबागल जैन स्थानक भवन 21 मई 2025
उपासना स्थल पर नारी हो या पुरुष सभी को, यहां तक पशु पक्षी को भी साधना करने का समान अधिकार है उक्त विचार राष्ट्र संत कमल मुनि जी कमलेश ने महासचिव पारस कंवर जी की श्रद्धांजलि सभा को संबोधित करते कहा कि किसी को रोकना अथवा किंतु परंतु करना साक्षात परमात्मा का अपमान करने के समान है।
उन्होंने कहा कि साधना का जाति और कुल से कोई संबंध नहीं है, भगवान महावीर ने चारों वर्णों को अपने शासन में समानता का दर्जा दिया है।
मुनि कमलेश ने बताया कि जन्म के समय किसी के सिर पर जाति अथवा पंथ नहीं लिखा होता है। मानव जाति एक है उसमें भेद की दीवारें खड़ी करना महान हिंसा है।
राष्ट्र संत ने कहा कि व्यक्ति जन्म से नहीं कर्म से महान होता है, सामान्य कुल में जन्म लेकर महान काम करता है विश्व पूजनीय बनता है और ऊंचे कुल में जन्म लेकर निम्न कोटी काम करता है नफरत का पात्र बनता है।
जैन संत ने विकृत वर्ण व्यवस्था पर करारी चोट करते कहा की एक ही व्यक्ति में चारों वर्ण विद्यमान है, साधना करता है तो पंडित है, शरीर की सफाई करता है तो शुद्र है, आत्मरक्षा और देश रक्षा के लिए आगे आता है तो क्षत्रिय है, जब लेनदेन का काम करता है तो वनिक है। चार लोगस्स का ध्यान किया गया। मंत्री जितेश राका ने संचालन किया। नितेश भंसाली, तरुण राका, जिया भंडारी, दीपक जैन, कासवि भंडारी सजल कर्णावट विधान राका हर महीने प्रथम रविवार को सकल जैन समाज मिलकर महामंत्र के जाप सामूहिक स्थानक करने का संकल्प लिया। गौ सेवा के लिए भी ढाई लाख की राशि संघ ने एकत्रित की।