महापुरुषों को जाति के बंधन में बांधना महापापः राष्ट्रसंत कमल मुनि कमलेश
मूलबागल जैन स्थानक भवन 20 मई 2025
महापुरुषों को अपनी बपोती मानना उन दिव्य महापुरुषों का अपमान है, क्या आपने जन्म देकर उनको बड़ा किया,, उन पर ठेकेदारी जताना, क्या पैसे से खरीदा, उन पर एकाधिकार जताने वाले ही उनकाा सबसे ज्यादा उनका अपमान कर रहे हैं उक्त विचार राष्ट्र संत कमल मुनि जी कमलेश ने धर्मसभा को संबोधित करते व्यक्त किये। महाराज श्री ने कहा कि महापुरुष संपूर्ण मानवता की अनमोल धरोहर है, वे सूर्य के समान होते हैं संपूर्ण मानवता का उनपर का समान अधिकार है।
उन्होंने कहा कि महापुरुषों के नाम पर बांटने वाला, भेदभाव करने वाला, उनके नाम पर अपनी दुकानदारी चलाने वाला उनका सबसे बड़ा गद्दार है।
मुनि कमलेश ने बताया कि अपमान के बदले आशीर्वाद देने वाले ही महापुरुष बनते हैं, उनका कभी अपमान होता ही नहीं है। ऐसा करने वाला सूर्य पर धूल फेंकने के समान काम कर रहा है।
राष्ट्र संत ने कहा कि राम और रहीम कोई भी खतरे में नहीं है परंतु जब राम-रहीम के नाम पर अपनी दुकान चलाने वालों को लगता ही है कि उनकी दुकानदारी खतरे में पड़ती है तब वे धर्म का मुखौटा लगाकर अपना उल्लू सीधा करने में लगे होते हैं।
जैन संत ने कहा कि महापुरुषों के नाम पर एक कतरा खून बहाना भी मानवता पर कलंक और शर्मनाक घटना ही होती है, मोहब्बत और प्रेम पर चलने वाला ही सच्चा धार्मिक बन सकता है।
श्री वर्धमान स्थानक स्थानकवासी जैन श्रावक संघ हनुमंत नगर, बैंगलोर राष्ट्र संत कमल मुनि कमलेश के 2026 के चातुर्मास की विनती लेकर अध्यक्ष गौतम चंद सिंघवी, उपाध्यक्ष नेमीचंद दक, महामंत्री सुरेश धोका, कोषाध्यक्ष पवन मुथा चरणों में उपस्थित हुए। मूलबागल श्रावक संघ ने उनका स्वागत किया। 21 मई को प्रवचन के पश्चात चेन्नई की और बिहार करने की संभावना है।