‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ के लिए एक बार संविधान संशोधन की जरूरत: शिवराज
नयी दिल्ली: 21 मई,2025। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बुधवार को कहा कि देश भर में एक साथ चुनाव कराने के लिए संविधान में एक बार संशोधन जरूरी है। उन्होंने कहा कि बार-बार चुनाव होने से शासन में बाधा आ रही है और सार्वजनिक व्यय बढ़ रहा है।
चौहान ने इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू) में विद्यार्थियों और बुद्धिजीवियों के साथ इस विषय पर आयोजित संवाद में कहा, ‘‘…‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ पर गंभीर चर्चा होनी चाहिए और हमें संवैधानिक संशोधन लाकर इसे अंजाम देना चाहिए।’’
उन्होंने तर्क दिया कि बार-बार चुनाव होने से राजनीतिक नेतृत्व और प्रशासनिक मशीनरी दोनों का कामकाज बाधित होता है, जिससे दीर्घकालिक नीतिगत निर्णय लेने के लिए बहुत कम गुंजाइश बचती है।
चौहान ने कहा, ‘‘वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों को किसी भी राज्य में पर्यवेक्षक के रूप में भेज दिया जाता है, जहां चुनाव होते हैं। मंत्रियों से लेकर प्रधानमंत्री तक, हर कोई लगातार चुनावी मोड में रहता है।’’
मध्य प्रदेश का उदाहरण देते हुए चौहान ने कहा कि पहले विधानसभा चुनाव और फिर संसदीय चुनाव के लिए आदर्श आचार संहिता लागू होने के कारण सितंबर 2023 तथा जून 2024 के बीच कोई महत्वपूर्ण प्रशासनिक कार्य नहीं हो पाया।
उन्होंने कहा, ‘‘कोई भी नयी योजना शुरू नहीं हो पाती और सरकारी अधिकारी भी चुनाव संबंधी जिम्मेदारियों का हवाला देकर काम धीमा कर देते हैं।’’
चौहान ने कहा कि गणतंत्र के प्रारंभिक वर्षों (1952, 1957, 1962 और 1967) में एक साथ चुनाव कराना एक आदर्श व्यवस्था थी, लेकिन राज्य सरकारों में राजनीतिक अस्थिरता के कारण यह व्यवस्था बाधित हो गई।
उन्होंने कहा, ‘‘यदि कुछ राज्यों में चुनाव पहले या विलंबित करके एक बार चुनाव कराए जाएं तो हम उस प्रणाली पर वापस लौट सकते हैं।’’
मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘हमारी पार्टी पूरे साल चुनाव लड़ने में सक्षम है, लेकिन राष्ट्रीय हित पहले आता है। यह किसी एक पार्टी को लाभ पहुंचाने के बारे में नहीं है। यह बेहतर शासन सुनिश्चित करने और प्रणाली पर बोझ कम करने के बारे में है।’’
चौहान ने भारत के सभ्यतागत लोकाचार की सराहना करते हुए कहा, ‘‘केवल सीमित ज्ञान वाले लोग ही कहते हैं कि ‘यह मेरा है, वह तुम्हारा है’। हमारी सभ्यता सिखाती है कि विश्व एक परिवार है।’’
हाल ही में पाकिस्तान के खिलाफ चलाए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में सशस्त्र बलों की भूमिका की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘हम संघर्ष की शुरुआत नहीं करते, लेकिन उकसावे पर हम दृढ़ता से जवाब देते हैं। हमारे बलों ने जिस तरह से सटीक हमले किए और अभियान की योजना में जिस तरह का नेतृत्व प्रदर्शन किया, उसे हम सलाम करते हैं।’’