सात्विक भोजन आत्मा को निर्मल करता हैः राष्ट्रसंत कमल मुनि कमलेश
चित्रदुर्गा जैन स्थानक भवन 30 अप्रैल 2025
बिना समय अनियंत्रित किया गया अमृत जैसा भोजन भी जान लेवा साबित हो सकता है, जहर का काम कर सकता है उक्त विचार राष्ट्र संत कमल मुनि जी कमलेश ने वार्षितप पारना अभिनंदन समारोह को संबोधित करते कहा कि यदि संयम और विवेक से भोजन किया जाए तो औषधि का काम करता है।
उन्होंने कहा कि सात्विक भोजन विचारों का निर्मल आत्मा को शुद्ध और शरीर को निरोग बनता है आहार का विचारों के साथ गहरा संबंध है जैसा खाए अन्न जैसा हो मन
मुनि कमलेश ने बताया कि संसार में भूख से मरने वालों की संख्या कम है, ज्यादा खाकर मरने वालों की संख्या ज्यादा है और असाध्य रोगों के शिकार भी ज्यादा होते हैं।
राष्ट्र संत ने कहा कि तपस्या करने से अनंत जन्मों के लगे आत्मा के साथकर्मों की निर्जरा होती है सिद्धि प्राप्त होती है, जैन संत ने बताया कि तपस्या करना कठिन है उससे भी ज्यादा कठिन है भोजन करते समय पर उस पर नियंत्रण करना यह महान तपस्या है।
राष्ट्रसंत कमल मुनि जी कमलेश 10 वां एवं कौशल मुनि जी 5 वर्ष वर्ष तपस्या का लाभ गुमानमल कवाड़, नरेंद्र कुमार जी लुंकड़, जयंतीलाल जी चोपड़ा,अरविंद जी लुंकड़, महिला मंडल युवक मंडल ने लिया। सक्षम मुनि जी अक्षत मुनि जी घनश्याम मुनि जी कौशल मुनि जी ने विचार व्यक्त किया।