धर्म का प्रवेश द्वार है स्वाभिमानः राष्ट्रसंत कमल मुनि कमलेश
ऐलीपुर पंजाबी सिख समाज 5 मई 2025
स्वाभिमान गिरवी रखकर प्राप्त किया हुआ सोना चांदी महल भी मिट्टी के समान है और स्वाभिमान की सूखी रोटी भी पांच पकवान से बढ़कर है उक्त विचार राष्ट्र संत कमल मुनि जी कमलेश ने धर्म सभा को संबोधित करते हुए कहा कि जिस देश में जाति, कौम और देश का स्वाभिमान नहीं होता वह जिंदा भी वह मुर्दे के समान है।
उन्होंने कहा कि स्वाभिमान ही धर्म का प्रवेश द्वार है इसके बिना कितना ही दान त्याग तपस्या यहां तक संत भीबन जाए तोभी विश्व के किसी धर्म में प्रवेश नहीं हो सकता है
मुनि कमलेश से बताया कि विश्व के सभी महापुरुषों ने स्वाभिमान की रक्षा के लिए अपना तन- मन- धन इज्जत सर्वस्व न्योछावर कर दिया।
राष्ट्र संत ने कहा कि स्वाभिमान और अभिमान में दिन-रात का अंतर है स्वाभिमान अमृत है अभिमान जहर है दूसरों को नीचा दिखाने के लिए किया गया काम अभिमान का पोषण करता है और सब की रक्षा के लिए अपमान सहने वाला भी सच्चा स्वाभिमानी है।
जैन संत ने कहा कि गुरु गोविंद सिंह जी ने धर्म देश के स्वाभिमान की रक्षा के लिए चारों शहजादों को हंसते-हंसते शहीद करवा दिया। जैन श्रावक दानवीर टोडरमल जी जैन गुरु गोविंद सिंह जी के दोनों बच्चों के अंतिम क्रिया के लिए स्वर्ण मुद्राओं का भंडार समर्पित कर दिया सिख समाज सहित संपूर्ण मानव समाज के स्वाभिमान के लिए ।
श्री शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी दरबार साहब अमृतसर के काल तख्त पर 1992 में पांच प्यारों ने राष्ट्र संत कमल मुनि जी कमलेश को सरोपे से सम्मानित करते हुए देश के सभी गुरुद्वारा एवं पूरी सिख कॉम को सेवा में समर्पित होने का फरमान जारी किया।
अवतार सिंह, गुरजंत सिंह, एकम जिंता सिंह, सुखजीत सिंह कौर, सिमरजीत सिंह कौर, चरणजीत सिंह कौर सभी गुरु भक्तों ने राष्ट्र संत कमल मुनि जी कमलेश तपस्वी, घनश्याम मुनि जी, कवि अक्षत मुनि जी, सेवा भावी कौशल मुनि जी, युवा मनीषी सक्षम मुनि जी का अभिनंदन किया। 8 मई को तमकुर पधारने की संभावना है।