नैतिकता ही धार्मिकता का प्रवेश द्वारः राष्ट्रसंत कमलमुनि कमलेश
देवनहल्ली जैन तीर्थ 15 में 2025
कितने ही कर्मकांड, उपासना, साधना करले लेकिन जब तक नैतिकता का पालन नहीं होता तब तक धार्मिकता में प्रवेश नहीं हो सकता उक्त विचार राष्ट्र संत कमल मुनि जी कमलेश ने धर्मसभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किये। महाराज श्री ने कहा कि सभी धर्म की उपासना पद्धति अलग हो सकती है, आराध्या अलग हो सकते हैं परंतु नैतिकता ही धार्मिकता का प्रवेश द्वारा है।
उन्होंने कहा कि आध्यात्मिकता की दुहाई देने वाले के जीवन में नैतिकता का दीवाला स्पष्ट नजर आना दुर्भाग्यपूर्ण है पहले नैतिक बने बाद में धार्मिक बने।
मुनि कमलेश ने कहा कि हिंदुस्तान में कितने धर्म संप्रदाय, धर्म सभाए होने के बावजूद भी भ्रष्टाचार, मिलावट, धोखाधड़ी, कथनी करने में अंतर, विश्वासघात, बेईमानी का बोलबाला आध्यात्मिकता का ढोल पीटने वाले के मुंह पर करारा समाचार है।
राष्ट्र संत ने बताया कि विश्व के सभी महापुरुषों ने नैतिकता और ईमानदारी को ही प्राथमिकता दी है यही धर्म का असली प्राण है।
जैन संत ने कहा कि आज तो धर्मशाला भी अनेकता और अराजकता के अखाड़े बनते जा रहे हैं, इसलिए धर्म अनास्था का केंद्र बनता जा रहा है। धर्माचार्य को मिलकर धर्मस्थल की पवित्रता का के कार्य को प्राथमिकता दें।
जैन श्रावक संघ दौंड बालापुर के प्रकाश बोहरा, रमेश कवाड़, राकेश पुंगलिया, अशोक कोठारी, सुजीत मकाना, सुरेश गदीया, नेमीचंद मुथा, केवल चंद जैन ने बिहार सेवा का लाभ लिया।
आचार्य प्रवर चंद्र यश सुरिश्वर जी ने राष्ट्र संत कमल मुनि जी सेवाभावी घनश्याम मुनि जी, तपस्वी अक्षत मुनि जी, कौशल मुनि जी, सक्षम मुनि जी को मंगल विदाई दी गई। 16 मई को विजयपुरा गौशाला में गो रक्षा सम्मेलन का आयोजन किया गया है।