बेशर्मी में हमारे नेताओं का कोई मुकाबला नहीं
अगर बोलने में बेशर्मी का कोई अंतरराष्ट्रीय मुकाबला हो, तो हमारे देश के नेताओं से दुनिया में कोई नहीं जीत सकता। मुंह खोलकर बकवास करना और कुछ भी बोल देना,फिर उसी बेशर्मी से मुकर जाना या माफी और सबसे बेहतरीन बहाना की मीडिया ने उनके बयान को तोड़-मरोड़ के पेश किया है,कहना मानो उनकी फितरत हो गई है। मध्य प्रदेश के मंत्री विजय शाह इस बेशर्मी के पुराने चेहरे हैं। वह पहले भी ऐसे बयान देते रहे हैं और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान खुद इसके शिकार रहे हैं। जिनकी पत्नी को लेकर शाह ने तंज कसा था। वह उस भारतीय जनता पार्टी के नेता है,जिसे केंद्र और कई राज्यों में सत्ता में आने से अपने चाल,चरित्र और चेहरे पर गुमान हुआ करता था और जो अपने आप को अभी भी सबसे देशभक्त और संस्कारी पार्टी मानती है। लेकिन सत्ता मिलने के बाद वो अन्य पार्टियों की तरह ही भारतीय राजनीति की उस धारा में समाहित गई,जहां साफ-सुथरा कोई नहीं है। जहां किसी पार्टी के नेता हो,सब एक चाल,चरित्र और चेहरे के लगते हैं।
विजय शाह ने बेशर्मी के साथ कर्नल सोफिया कुरैशी को आतंकवादियों की बहन बताया था। लेकिन चार दिन बाद भी उनका कुछ नहीं बिगड़ा है। ना उन्हें मध्यप्रदेश में मंत्री पद से हटाया गया है और नहीं बीजेपी ने पार्टी स्तर पर उनके खिलाफ कार्यवाही की है। उनके खिलाफ एफआईआर भी हाईकोर्ट के आदेश पर हुई। लेकिन वह भी इस तरह की,यदि उसे चुनौती दी जाए तो रद्द किया जा सके। जबकि हाईकोर्ट ने जिन धाराओं में एफआईआर के निर्देश दिए थे, वह भारत की एकता-अखंडता को खतरे में डालने और धर्म, जाति, भाषा के आधार पर विभिन्न समुदायों में वैमनस्य फैलाने से संबंधित थी। इसे देखते हुए ही हाईकोर्ट को यह कहना पड़ा की इसकी पुलिस जांच अब कोर्ट की निगरानी में होगी। उधर,सुप्रीम कोर्ट ने भी विजय शाह की याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया है। शीर्ष कोर्ट ने कहा कि आप जिम्मेदार पद पर हैं। जिम्मेदारी निभानी चाहिए। लेकिन आप किस तरह का बयान दे रहे हैं।
मीडिया में कहा जा रहा है कि उनके बयान से भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व नाराज है। पार्टी के मध्य प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने उन्हें बुलाकर सफाई ली है। राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा मामले पर नजर रखे हुए हैं। कई भाजपा नेताओं के साथ ही मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती उनकी बर्खास्तगी की मांग कर चुकी है। राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष विजया राहटकर भी शाह के बयान को महिलाओं के प्रति अपमानजनक और अस्वीकार्य बता चुकी है। अब तो सोफिया के चाचा और उनके चचेरे भाई भी शाह के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर चुके हैं।उन्होंने कहा कि सोफिया आतंकवादियों की नहीं, देश की बेटी है। लेकिन सवाल है कि जब शाह का बयान स्पष्ट है और उसका वीडियो जबर्दस्त तरीके से वायरल है। वह किस बॉडी लैग्वेंज से क्या कह रहे हैं,यह साफ सुनाई दे रहा है,उसके बाद भी उनके खिलाफ भाजपा कार्रवाई करने में हिचक क्यों रही है? मोदी और अमित शाह की भाजपा तो वैसे भी माना जाता है कि उनके इशारों पर ही चलती है,तो फिर अब तक कार्रवाई के नाम पर खामोशी क्यों? क्योंकि,शाह मध्यप्रदेश के प्रभावशाली नेता है और खुद के जाति-समाज के वोट बैंक पर प्रभाव रखते हैं। वह खंडवा जिले की हरसूद विधानसभा क्षेत्र से लगातार आठवीं बार यानी करीब 35 सालों से विधायक है। भाजपा का बड़ा आदिवासी चेहरा है और राजघराने से ताल्लुक रखते हैं। उनके प्रभाव का अंदाज इससे भी लगाया सकता है कि वह लगातार चार मुख्यमंत्रियों उमा भारती, बाबूलाल गौड, शिवराज सिंह चौहान और अब मोहन यादव सरकार में मंत्री है। इसमें कोई शक नहीं की शाह के बयान ने भाजपा को बैकफुट पर ला दिया है। उन पर तुरंत कार्रवाई करके भाजपा देश को संदेश देकर मिसाल कायम कर सकती थी की सेना और महिलाओं के सम्मान के साथ खिलवाड़ करने वाले के लिए पार्टी में कोई जगह नहीं है। लगातार अपनी आलोचना के बाद शाह दो बार माफी मांग चुके हैं। इसमें उन्होंने जिस सोफिया का आतंकवादी बताया, उसे अपनी बड़ी बहन बताया। लेकिन उनके माफी मांगने के अंदाज में भी जो ठसका था,वह यह बता रहा था कि उन्हें अपने शब्दों पर अफसोस नहीं है,बल्कि वो अपनी कुर्सी बचाने के लिए माफी मांग रहे हैं।
जाहिर है शाह के बयान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सरकार की उस रणनीति को भी धक्का पहुंचाया है,जो देश में हिंदू-मुस्लिमों के एकजुट होने का संदेश देने की थी। इसीलिए भारत-पाक संघर्ष के दौरान मीडिया बीफ्रिंग के लिए मुस्लिम कर्नल सोफिया कुरैशी और हिंदू विंग कमांडर व्योमिका सिंह को चुना गया। इसका मकसद पाकिस्तान और दुनिया को यह बताना था कि भले ही पहलगाम में आतंकवादियों ने धर्म पूछकर निर्दोष पर्यटकों की हत्या की हो। लेकिन भारत में सभी धर्म के लोग एक साथ,एकजुट है। लेकिन शाह के बयान ने इस नरेटिव को बहुत नुकसान पहुंचा हैं। पाकिस्तान में उनके बयान को मीडिया चलाकर यह बता रहा है कि भारत में मुसलमानों को आतंकवादी ही माना जाता है।
पुराने पापी हैं शाह
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■शाह ने 2013 के विधानसभा चुनाव के दौरान एक चुनाव सभा में तब के सीएम शिवराज सिंह चौहान की पत्नी साधना स़िह पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि, भैया के साथ रोज जाती हो। कभी देवर के साथ भी चलो। विवाद बढ़ने पर उन्होंने माफी मांग ली थी। बाद में उन्हें मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था। लेकिन जातिगत समीकरण को साधने के लिए उन्हें वापस मंत्रिमंडल में शामिल करना पड़ा था।
■सितंबर 2022 में राहुल गांधी के अविवाहित होने पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि 50-55 साल की उम्र होने पर भी शादी ना हो, तो लोग पूछने लगते हैं कि लड़के में कुछ कमी है क्या?
■ नवंबर 2023 में बालाघाट में शूटिंग करने आई अभिनेत्री विद्या बालन से रात को मिलने की इच्छा जताई। बालन ने ने आपत्ति की, तो वन विभाग के जरिए फिल्म की शूटिंग रुकवा दी.
हाईकोर्ट की तल्ख टिप्पणी
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सेना देश में शायद अंतिम संस्था है, जिसमें ईमानदारी, अनुशासन और बलिदान का अद्वितीय उदाहरण मिलता है। मंत्री ने गटर जैसी भाषा पर इस्तेमाल किया है। यह किसी अफसर को नहीं,बल्कि सेना को नीचा दिखाने की कोशिश है। धार्मिक पहचान के कारण किसी को आतंकवाद से जोड़ना न केवल नफरत फैलता है,बल्कि संविधान के खिलाफ भी है। वीडियो में वो जहर उगलते दिख रहे हैं।
ये था शाह के बयान का सार
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पाकिस्तानी आतंकवादियों ने कपड़े उतार-उतार कर हमारे हिंदुओं को मारा और मोदीजी ने उनकी बहन को उनकी ऐसी तैसी करने उनके घर भेजा। अब मोदीजी कपड़े तो उतार नहीं सकते। इसलिए उनकी समाज की बहन को भेजा कि तुमने हमारी बहनों को विधवा किया है, तो तुम्हारे समाज की बहन आकर तुम्हें नंगा करके छोड़ेगी। देश का सम्मान और मान सम्मान और हमारी बहनों के सुहाग का बदला तुम्हारी जाति, समाज की बहनों को पाकिस्तान भेज कर ले सकते हैं।
–ओम माथुर की कलम से