
भोग,विलास में डूबकर आध्यात्मिकता का स्वांग परमात्मा के साथ धोखा : राष्ट्रसंत कमल मुनि कमलेश
देवनहल्ली जैन मंदिर 14 मई 2025
भोग और विलासिता की पश्चात संस्कृति में गले तक डूब कर आध्यात्मिकता की दुहाई देना धर्म और परमात्मा के साथ धोखा है उक्त विचार राष्ट्र संत कमल मुनि जी कमलेश ने व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि दिन और रात एक साथ नहीं रह सकते वैसे ही पाश्चात संस्कृति आध्यात्मिक संस्कृति एक जीवन में एक साथ नहीं रह सकती।
उन्होंने कहा कि पाश्चात्य संस्कृति का हमला आतंकवादी हमले से भी ज्यादा खतरनाक है। पाश्चात्य संस्कृति ने संस्कारों को कुचला,सभ्यता का जनाजा निकाल दिया है और संस्कृति के साथ खिलवाड़ किया है।
मुनि कमलेश ने कहा कि भारतीय संस्कृति ऋषि मुनियों के आध्यात्मिक ज्ञान के सहारे निर्मित हुई है, जिसमें आत्मा की शुद्धि ,शरीर की निरोगिता और विचारों में पवित्रता का संचार होता है।
उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति विज्ञान की कसौटी पर शत शत प्रतिशत खरा उतर रही है इसी के सहारे हिंदुस्तान को विश्व गुरु बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।
राष्ट्र संत ने कहा कि पाश्चात देश हमारी संस्कृति को अपनाकर गौरवांवित महसूस हो रहे हैं दुर्भाग्य है जिसको वह जहर समझ कर थूक रहे उसको हम चाट रहे हैं। दैनिक जीवन शैली में भारतीय संस्कृति के बिना सच्ची शांति प्राप्त नहीं हो सकती।
जैन संत ने कहा कि पाश्चात्य संस्कृति ने रोग ,तनाव, अशांति और पशु तुल्य मानव जीवन जीने को सिखाया है 21वीं सदी की भौतिकवाद की आंधी हमारे जैसे संतों का निर्माण होना या किसी चमत्कार से काम नहीं है इसका सारा श्रेया भारतीय संस्कृति को जाता है।
मूर्तिपूजकआचार्य यश चंद्र सुरिश्वर जी ने कहा कि आध्यात्मिक साधना के केंद्र और संत भारतीय संस्कृति के सुरक्षा कवच है जिन्होंने जन-जन के बीच शांति प्रेम और सद्भाव का संचार किया है।
राष्ट्रसंत की आगमन पर आचार्य प्रवरअभिनंदन किया और बताया कि एक भव्य गौशाला का निर्माण म्यूजियम युवा पीढ़ी के लिए आध्यात्मिक केंद्र बनाया जा रहा है।