Wednesday, May 21, 2025
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नेता जिसने हजारों जानें बचाई !

आपरेशन सिंदूर की सफलता पर हर भारतीय को गर्व है पर इस सफलता के पीछे एक दूरदर्शी नेता मनोहर पर्रिकर का भी बहुत बड़ा योगदान है। भारत की सेना को मजबूत करने के लिए उनके रक्षामंत्री रहते भारत ने S-400 एयर डिफेंस सिस्टम तथा राफेल विमान खरीदे। विपक्ष के विरोध के बावजूद उन्होंने भारत की सेना को मजबूत किया, उनके निर्णय से ही आज हम भारतीय सुरक्षित है।

नेता जिसने हजारों जानें बचाई !

आप्रेशन सिंदूर की सफलता पर आज पूरा देश जश्न मना रहा है प्रत्येक भारतीय गर्व महसूस कर रहा है।

हजारों लाखों लोगों के जीवन को बचाने के पीछे हमें एक दूरदर्शी नेता का भी धन्यवाद करना होगा—जिसने वक्त रहते, सबका विरोध सहते, आलोचनाओं से घिरे होने के बावजूद वही चुना जो देश के लिए सही था।

पाकिस्तान ने भारत की उत्तरी पश्चिम सीमा पर ताबड़तोड़ मिसाइलें दागी, 50 ड्रोन से भी हमला करने की कोशिश की गई। लेकिन किसी ने यह नहीं सोचा था की इन मिसाइलों को चंद सैकंडों में भारत का एयर डिफेंस सिस्टम भेद देगा, लेकिन वो भेदता रहा। एक भी मिसाइल अपना टारगेट हिट नहीं कर पाई, न आम लोगों की बस्तियों पर न किसी आर्मी बेस पर–हर जगह पाकिस्तान के हमले विफल रहें। और इस बचावात्मक कारवाई में जैसे हमारी सेना हीरो थी, जैसे अन्य सुरक्षा प्रणालियां हीरो थी, वैसे ही उनमें रूस का बनाया S-400 ट्रायम्फ यानी सुदर्शन चक्र—जिसने एक रात में हजारों लोगों की जाने बचाई, और करोड़ो की संपत्ति भी बचाई। लेकिन इस हजारों और करोडो को बचाने के पीछे हमें एक दूरदर्शी नेता का भी धन्यवाद करना होगा—जिसने वक्त रहते, सबका विरोध सहते, आलोचनाओं से घिरे होने के बावजूद वही चुना जो देश के लिए सही था। वो नेता थे—मनोहर पर्रिकर

स्वाधीनता पाने के बाद रक्षा सौदे में पहला भ्रष्टाचार खुद चाचा नेहरु के पहले कार्यकाल में, पहले रक्षा में हुआ। तब से लेकर प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के एचडीडब्लू सबमरीन सौदे और राजीव गांधी के कार्यकाल में बोफर्स सौदे पर भी भ्रष्टाचार के दाग लगे। सोनिया गांधी की यूपीए सरकार द्वारा अगस्ता वेस्टलैंड से खरीदें हेलीकॉप्टर की खरीदी में भी घोटाले किए गए थे। स्वाधीनता से लेकर 2014 तक शायद ही कोई रक्षा सौदा हो जिसमें भ्रष्टाचार ना हुआ हो। ऐसे भ्रष्टाचार में गले तक डूबे रक्षा मंत्रालय का कार्यभार पहली कैबिनेट में मिला गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर को! संघ का निष्ठावान, निष्कलंक स्वयंसेवक, आईआईटी से स्नातक और राजनीति पर मजबूत पकड़ रखने वाला यह नेता।

मनोहर पर्रिकर जब रक्षा मंत्री बनते ही उन्होंने सेना की लंबी अटकी जरूरतों की जानकारी लेना शुरू किया, तब अटके पड़े एयर डिफेंस सिस्टम की खरीदारी भी सामने आयी। उन दिनों रक्षा मंत्रालय में चर्चा थी नए एयर डिफेंस सिस्टम खरीदने की। लंबी दूरीवाले, मध्यम दूरीवाले और कम दूरीवाले मिसाइल डिफेंस खरीदकर भारत की वायुसीमा सशक्त करना रक्षा मंत्रालय का प्लान था। मनोहर पर्रिकर को यह स्पष्ट था कि देश को एक बहुस्तरीय (tiered) वायु सुरक्षा ढांचे की जरूरत है—जिसमें लंबी दूरी के खतरों के लिए प्राथमिक सुरक्षा कवच हो।

उन्हें पता था की अगर यह सिस्टम हम खरीद भी लें तो भी 15 वर्षों में यह पुराने हो जाएंगे, इनकी रेलेवंस ख़त्म हो जाएगी। इसीलिए उन्होंने मंत्रालय को 15 वर्षों की एयर डिफेंस खरीद योजना की समग्र समीक्षा का आदेश दिया। इस तकनीकी समीक्षा में पाया गया कि यदि भारत S-400 जैसे लंबी दूरी के अत्याधुनिक सिस्टम को शामिल करता है, तो मौजूदा मध्यम और कम दूरी की मिसाइल डिफेन्स सिस्टम खरीदने की कोई जरूरत नहीं होगी। उनके इस दूरदर्शिता पर सो-कोल्ड डिफेंस एक्सपर्ट्स ने कई सवाल उठाए, लेकिन इन सवालों और आलोचनाओं के बावजूद उन्होंने मंहगे, मध्यम दुरी और कम दुरी के सिस्टम के 100-100 यूनिट्स खरीदने की योजना को हटा दिया, केवल इसके हटने से ही रक्षा मंत्रालय के ₹49,300 करोड़ की बचत हुई।

पर्रिकर का दृष्टिकोण केवल लागत बचत तक सीमित नहीं था; उन्होंने वायुसेना को भी इस बदलाव के लिए सहमत किया, और तीन-स्तरीय सुरक्षा प्रणाली को रक्षा नीति के केंद्र में रखा। पर्रिकर की इस रणनीति ने भारत को दीर्घकालीन रणनीतिक को बूस्ट दिया।

गोवा में ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान भारत और रूस ने S-400 प्रणाली की खरीद पर अंतरसरकारी समझौता किया। जिसके बाद अक्टूबर 2018 में औपचारिक MOU के साथ लगभग $5.43 बिलियन डॉलर्स का सौदा मंजूर हुआ, दरम्यान अमेरिकी CAATSA प्रतिबंधों का दबाव, कांग्रेस के आरोप और तीखी आलोचनाओं के बावजूद मोदी सरकार ने इसे अंतिम रूप दिया गया।

पर्रिकर के कार्यकाल में लिए गए फैसलों की नींव पर भारत ने 2021 में पहली S-400 यूनिट तैनात की। आज, जब भारत अपनी पश्चिमी और उत्तरी पश्चिमी सीमाओं पर पाकिस्तानी मिसाइलों को नाकों चने चबवा रहा है तो यह मानना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि इसकी योजना वर्ष 2016 में मनोहर पर्रिकर की दूरदृष्टि से शुरू हुई थी।

रक्षा नीति में अक्सर ‘बड़ा सोचो, धीरे चलो’ का रवैया देखा जाता है, लेकिन पर्रिकर ने इसे उलट कर दिखाया—उन्होंने दूरदर्शिता से सोचा और तेजी से फैसले लिए। यही कारण है कि भारतीय रक्षा योजना में उनका नाम न केवल निर्णायक नीतियों के लिए, बल्कि व्यावहारिक सैन्य रणनीति के प्रतीक के रूप में भी दर्ज होना चाहिए।

आज मनोहर पर्रिकर हमारे बीच में नहीं है—-जब भविष्य में राफेल विमान पाकिस्तान पर कहर ढा रहा होगा तब भी वो हमारे बीच में नहीं होंगे, लेकीन जहां कहीं होंगे वहां से उनके लिए फैसले और भ्रष्टचार मुक्त व्यवहारों से भारत की रक्षा होते देख वो मुस्कुरा जरूर रहें होंगे।

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