दया का भाव नहीं उसके द्वारा की गई साधना,तपस्या व्यर्थ: राष्ट्रसंत कमल मुनि कमलेश
चित्रदुर्गा ग्राम पंचायत गडिमापुरी 26 अप्रैल 2025
“तपस्या, साधना, दर्शन, तीर्थ सभी धार्मिक क्रियाएं करने के बाद भी अंतरात्मा में रहम और दया का भाव नहीं है तो वह रहमान और भगवान भी नहीं है, उसके द्वारा की गई ये सब क्रियाएं मात्र दिखावा है उक्त विचार राष्ट्र संत कमल मुनि जी कमलेश ने धर्म सभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किये।
कमलेश मुनि ने आगे कहा दया,रहम के बिना मनुष्य के द्वारा की हुई सभी धर्म साधना मुर्दे को श्रृंगार करने के समान है।
उन्होंने कहा कि सभी धर्म के भगवान उपासना की पद्धति अलग-अलग हैं परंतु सभी ने रहम को धर्म का प्रवेश द्वार बताया है बिना रहम के इंसानियत का विकास नहीं हो सकता।
मुनि कमलेश ने बताया कि जिसने दया को आत्मसात कर लिया उसने धर्म भगवान परमात्मा और मोक्ष को अपने वश में कर लिया उसको कहीं परमात्मा ढूंढने जाने की आवश्यकता नहीं है।
राष्ट्र संत ने कहा कि गर्दन काटने वाला दुश्मन भी सामने आ जाए उसके प्रति दुर्भावना ना लाएं और हम उसके ऊपर भी रहम और दया करें उसके मंगल की कामना करें तो सभी तीर्थ का लाभ आपके घर बैठे मिल जाएगा।
जैन संत ने कहा कि प्राणी मात्र के प्रति जिसके दिल में निस्वार्थ भाव से रहम और दया होती है, मन वचन और काया से भी किसी को तनिक भी दुख न पहुंचाने का विचार मन में लाता है विश्व पूजनीय बनता है।
सक्षम मुनि कौशल मुनि के लिए मंगलाचरण किया घनश्याम मुनि अक्षत मुनि जी ने विचार व्यक्त किए 27 अप्रैल को जगदलपुर पधारने की संभावना है।