विरासत का संरक्षण करना हमारा नैतिक दायित्व: राष्ट्रसंत कमल मुनि कमलेश
कोप्पल कर्नाटक। विश्व की सबसे प्राचीन आध्यात्मिक संस्कृति के साथ खिलवाड़ करना आस्था और धर्म को पांव तले रोंदने के समान अक्षम्य अपराध है उक्त विचार राष्ट्र संत कमल मुनि जी कमलेश ने विश्व धरोहर दिवस एवं तपस्वी अनीता उमा चोपड़ा के वर्षितप अभिनंदन समारोह को संबोधित करते व्यक्त किये।
उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि संस्कृति का निर्माण विश्व के संपूर्ण संपत्ति दान देकर भी नहीं किया जा सकता।
उन्होंने कहा कि प्राचीन प्रसिद्ध तीर्थ स्थलों को पर्यटन स्थल के रूप में सरकार द्वारा बनाने के षड्यंत्र का मूल स्वरूप के साथ खिलवाड़ करने के समान है।
मुनि कमलेश ने बताया कि भौतिकवाद की 21वीं सदी में हमारे जैसे संतों का निर्माण होना प्राचीन धरोहर की देन है, विश्व गुरु बनने का सौभाग्य भी इसी के द्वारा मिला है।
राष्ट्र संत ने कहा कि बाड़ खेत को खा जाए, रक्षक की भक्षक बन जाए तो क्या होगा धरोहर की उपेक्षा महापुरुषों का अपमान करने के समान है।
जैन संत ने कहा कि आज भी विश्व का कोना-कोना प्राचीन धरोहर को निहार कर श्रद्धा और भक्ति से परिपूर्ण हो रहे हैं धरोहर की रक्षा में ही धर्म संत साधना और परमात्मा की रक्षा निहित है।
तपस्वी का अभिनंदन गौतम बागरेचा बेल्लारी वालों ने जीव दया रक्षा के रूप में किया। जैन मंदिर से वरघोड़ा निकाला गया भारी संख्या में जनता ने भाग लिया महेंद्र चोपड़ा, जवाहरलाल चोपड़ा,बाबूलाल चोपड़ा, गौतम चंद चोपड़ा, अशोक सीसी मरुधर संघ ने तपस्वी का अभिनंदन किया।