समभाव सिखाती है गीता : प्रज्ञामूर्ति पूज्य श्री अक्षय ज्योति जी म.सा.
गीता में यह स्पष्ट कहां गया है कि सुख और दुख, अनुकूल और प्रतिकूल परिस्थितियाँ जीवन का हिस्सा हैं, और ये हमारे कर्मों के परिणामस्वरूप आते हैं।
मात्रास्पर्शास्तु कौन्तेय शीतोष्णसुखदुःखदाः।
आगमापायिनोऽनित्याः तांस्तितिक्षस्व भारत।।
कहने का तात्पर्य है कि जब कुछ “मन के विपरीत” ( जैसे दुख, हानि, या असफलता ) होता है, तो गीता कहती है कि इसे अस्थायी मानकर धैर्य रखना चाहिए। यह पूर्व कर्मों का फल हो सकता है, पर इसका मतलब यह नहीं कि हम उसमें उलझ जाएँ। गीता हमें समभाव ( equanimity ) सिखाती है—सुख और दुख दोनों को समान रूप से देखना।
इससे बढ़कर भी यह भाव है कि जहाँ पर कोई भी मन के विपरीत कार्य होता है, उसमे ऐसा समझना चाहिये कि ऐसी भगवान् की इच्छा है, इसमें भगवान् का हाथ है | भगवान् की आज्ञा के बिना कोई भी काम नहीं हो सकता, इसलिये उसको भगवान् की आज्ञा मानकर खूब प्रसन्न होना चाहिये | इससे और भी ऊँचा भाव यह है कि अपने मन के विपरीत जो भी कार्य होता है उसको भगवान् का पुरस्कार ही समझना चाहिये और उस पुरस्कार में भगवान् की दया का दर्शन करना चाहिये | भगवान् सब कुछ हमारे मंगल के लिये ही करते हैं, यह किस प्रकार मान लिया जाय | मान लीजिये कि हमको हैजा या १०५ डिग्री बुखार हो गया अथवा पेट दुखने में कष्ट हुआ, उसमे भगवान् की दया का किस प्रकार अनुभव करना चाहिये | मन की प्रतिकूल अवस्था में दुःख तो आपको स्वाभाविक ही होने लगता है, क्योंकि आपका किसी प्रकार का अनिष्ट होने पर ही आप रोते हैं | कुते की तरफ लाठी लेकर मारने दौड़ते हैं, लेकिन कुते के लाठी पड़ने के पहले ही कुता चिल्लाने लगता है, ऐसा क्यों ? वह कुता भी यह समझता है कि सबमे भगवान् हैं | यदि मैं रोऊँगा तो शायद मेरी रक्षा हो जायगी | भगवान् के अस्तित्व का विश्वास कुते को भी है | अभी उस पर लाठी नहीं पड़ी है | लेकिन वह समझता है शायद रोने से भगवान् की दया से छुटकारा मिल जायगा | इसलिये आप लोगों को भगवान् की दया की ओर ध्यान देना चाहिये | चाहे जो भी बीमारी हैजा या प्लेग किसी भी प्रकार का कष्ट क्यों न हो, वह किसका परिणाम है ? वह आपके पूर्व जन्मों में किये गये पापों का परिणाम है | यह सब बीमारी आदि आपके पाप कर्मों के फलस्वरूप आपके पास आये हैं | जब आप उनको भोग लेते हैं, तब आपके पापों की शान्ति हो जाती है, और आप पापरूपी ऋण से मुक्त हो जाते हैं |