
गदग कर्नाटक।
“जिस लक्ष्य और उद्देश्य लेकर दान अथवा वस्तु दी जाती है उसे दूसरे में उपयोग लेना दानदाता,धर्म और परमात्मा के साथ अन्याय करने के समान है उक्त विचार राष्ट्र संत कमल मुनि जी कमलेश ने वीरांगना सम्मान समारोह को संबोधित व्यक्त किये। गदग हरलापर कर्नाटक जनरल हॉस्पिटल में उपस्थित धर्मप्रेमियों को संबोधित करते हुए राष्ट्रसंत ने कहा कि स्वार्थ और अंहकार के टकराने पर अच्छे कामों में भी दखल या उन्हें रोकने में भी शर्म महसूस नहीं करता वह धार्मिक तो क्या इंसान कहलाने लायक भी नहीं। खुद करता नहीं और जो कर रहा उसमें अड़चन डालकर बाधा पैदा करता है वह पापी है।
उन्होंने कहा कि अच्छे कार्य करने वाले को गुमराह करना रोड़े अटकना व्यवधान पैदा करना लक्ष्य पूर्ति में बाधा डालना अधार्मिकता का लक्षण है।
मुनि कमलेश ने कहा कि सरकार बदलते ही है पुरानी कल्याणकारी योजना को ठंडा बस्ते में डालना ,अधूरी छोड़ देना जनता के साथ में ईमानदारी नहीं है पूर्व सरकार की तरह वर्तमान सरकार को भी गौशालाओं को तत्काल अनुदान चालू करना चाहिए।
राष्ट्रसंत ने दुख के साथ कहा कि कर्नाटक सरकार को मंदिरों के द्वारा 1 वर्ष में 445 करोड़ की आय हुई, उस राशि को उसी धर्म स्थान के उत्तम सिद्धांतों को जन जन तक पहुंचाने के लिए उपयोग में लेने के बजाय 330 करोड रुपए अन्य स्थान पर खर्च करना दान दातों के साथ विश्वासघात माना जाएगा।
जैन संत ने कहा कि सभी धर्म स्थान के माध्यम से महापुरुषों के सिद्धांतों को जन-जन के बीच पहुंचने का प्रयास करना सच्चा अर्थ में धर्म पालन करने के समान है।
अखिल भारतीय जैन दिवाकर विचार मंच नई दिल्ली द्वारा वीरांगना सम्मान का राष्ट्रव्यापी आंदोलन के अंतर्गत जीतो की महिला शाखा गदग ने महावीर गौशाला में बदामी बाई, कमलाबाई, मंजू बहन, सुशीला बहन, ललिता बहन,तारा बहन, प्रेमलता बहन, कमला बहन जिनका आज तक विधवा के नाम से बुलाया जाता था आज वीरांगना सम्मान से सम्मानित किया गया। इतिहास का प्रथम क्षण था वीरांगना बहनों की हर्ष के मारे आंखें छलक पड़ी पूरा पंडाल खुशी के मारे झूम उठा। जितेश भाई, सुरेश भाई, नरेश भाई ने प्रतिवर्ष गौशाला के अंदर वीरांगना समारोह आयोजित करने की घोषणा की। इंदिरा बाघमार, स्वीटी भंसाली, सुशीला बहन ने कार्यक्रम आयोजित किया। अवसर पर सभी को तिलक लगाकर श्रीफल भेंट करके वीरांगना बहनों से चरण छूकर आशीर्वाद लिया। मंगल काम में आगे रखना, सरकारी पेंशन चालू करवाना, विधवा शब्द का प्रयोग न करने का संकल्प लिया। मुनि श्री 13 अप्रैल को कोप्पल पहुंचने की संभावना है।