ना खाता ना बही वक्फ बोर्ड कहें वो ही सही
सुप्रीम कोर्ट को याद रखना चाहिए कि तीन साल पहले उसने वक़्फ़ एक्ट को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी थीं।
आज जल्दी क्यों हैं सुनवाई की सरकार को वक्फ की बेची गई और कब्जाई गई प्रॉपर्टी पहले ही दिन
उजागर कर देनी चाहिये।
अश्विनी उपाध्याय की वक़्फ़ एक्ट को चुनौती देने वाली याचिका पर 13 अप्रैल, 2022 को जस्टिस चंद्रचूड़ और जस्टिस सूर्यकांत ने पर सुनवाई करने से मना कर दिया था और कहा था कि “Constitutionality of legislation cannot be challenged in the abstract which will be merely an acedemic exercise” हम सरकार को नया कानून बनाने के आदेश नहीं दे सकतें।
बेंच ने अश्विनी उपाध्याय से पूछा कि “वह इस कानून से कैसे प्रभावित है क्या उसकी अपनी कोई संपत्ति इस कानून से छीनी गई है कोई ऐसा उदाहरण दीजिए जिसमें आपकी संपत्ति को छीना गया है हमें सावधान रहना होगा जब संसद द्वारा पारित किए गए किसी कानून की संवैधानिकता को चुनौती दी गई हो हमारे सामने कोई aggrieved party तथ्यों से साथ होनी चाहिए”।
अब यही सवाल वर्तमान वक़्फ़ संशोधन एक्ट को चुनौती देने वालों से पूछे जाने चाहिए क्योंकि यह कानून भी संसद ने पारित किया है कपिल सिब्बल और अन्य वकीलों से और मुस्लिम पर्सनल बोर्ड और जमीयत एवं इनके वकीलों से पूछा जाना चाहिए कि आप इस कानून से कैसे प्रभावित है और यह कैसे संविधान का उल्लंघन है।
आज कोर्ट उतावला है इन याचिकाओं को सूचीबद्ध करने के लिए चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि हम आपके emails को देख कर उसे जल्दी लिस्टिंग के बारे में विचार करेंगें।
जमीयत का वकील है कपिल सिब्बल, सिंघवी और निज़ाम पाशा भी जल्दी सुनवाई की मांग कर रहे हैं।
ओवैसी और अमानतुल्लाह खान और कांग्रेस के मोहम्मद जावेद ने भी याचिका दायर की है और इन सभी याचिकाओं में कहा गया है कि यह कानून मुस्लिमों की धार्मिक स्वतंत्रता ख़त्म करने का एक खतरनाक षड़यंत्र है।
जैसे कानून की constitutional validity को अश्विनी उपाध्याय ने चुनौती दी थी जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया वैसे ही वर्तमान कानून की Constitutional validity को अब चुनौती दी गई है।
CJI खन्ना को सबसे पहले सभी याचिकर्ताओं से पूछना चाहिए कि यदि विगत में हुए संशोधन संवैधानिक थे तो यह संशोधन कानून गैर-संवैधानिक कैसे हो गया जैसे पहले संसद ने अपनी अधिकार से संशोधन किए थे वैसे ही यह संशोधन भी किया गया है।
सभी याचिकर्ताओं से पूछना चाहिए कि इस कानून से आपके धार्मिक अधिकारों का हनन कैसे हो जाएगा क्या आपको भय है कि इसकी आंच आपकी संपत्तियों पर आएगी और उन्हें छीन लिया जाएगा अगर ऐसा है तो आप यह मान रहे हैं कि आपने ऐसी संपत्तियां गलत तरीके से अर्जित की हैं।
बड़े बड़े मुलिम विद्वान भी कह रहे है कि वक़्फ़ की संपत्तियां ना बेची जा सकती हैं और ना उन पर कोई कब्ज़ा कर सकता है जबकि ऐसा हुआ है इसलिए सरकार को सुप्रीम कोर्ट में सभी बेची हुई वक़्फ़ की संपत्तियों और कब्ज़ा की गई संपत्तियों का ब्यौरा रख देना चाहिये।
अब वक़्फ़ की संपत्तियों को बेचने वाले और उन पर कब्ज़ा करने वाले ऐसे सभी “खलीफाओं” को नंगा करने का समय आ गया है।
संपत्तियां लूटी गई हैं इसका प्रमाण तो ओवैसी स्वयं दे रहा है यह कहते हुए कि उत्तर प्रदेश मे वक़्फ़ की बहुत सारी संपत्तियों का कोई कागज ही नहीं है।
कुछ दिन पहले सुप्रीम कोर्ट ही फैसला दे चुका है कि बिना रजिस्ट्री के प्रॉपर्टी पर किसी का मालिकाना अधिकार साबित नहीं होता अब मुस्लिम पक्ष सभी संपत्तियों की रजिस्ट्री दिखाने के लिए बाध्य होगा।
–साभार सोशल मीडिया