Wednesday, May 21, 2025
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संपूर्ण शास्त्र का सार है नवकार मंत्र: राष्ट्रसंत पूज्य श्री कमल मुनि कमलेश 

संपूर्ण शास्त्र का सार है नवकार मंत्र: राष्ट्रसंत पूज्य श्री कमल मुनि कमलेश

 

नवकार मंत्र अपने आप में एक संपूर्ण शास्त्र है, एक साधना पथ है। प्रभु महावीर की संपूर्ण साधना पद्धति नवकार मंत्र में समाहित है। नवकार मंत्र की शुरुआत है नमो से। साधना की सर्वसिद्धि के लिए जिस पहले गुण की आवश्यकता है, वह है नमन, समर्पण, अहं-विर्जन। नवकार मंत्रके जाप से अधोमुखी बुद्धि ऊर्ध्वमुखी बनती है, इच्छा की पूर्ति ही नहीं, इच्छा का ही अभाव हो जाता है और जिसमें इच्छा का अभाव है, वह जगत का सम्राट है।

नवकार को आत्मसात करना मुक्ति का दीप ज्योतिर्मान करना है।

नमो अरिहंताणं (अरिहंत भगवंतों को नमस्कार करता हूँ)।

नमो सिद्धाणं (सिद्ध भगवंतों को नमस्कार करता हूँ)।

नमो आयरियाणं (आचार्य भगवंतों को नमस्कार करता हूँ)।

नमो उवज्झायाणं (उपाध्याय महाराजों को नमस्कार करता हूँ)।

नमो लोऐ सव्व साहूणं ( साधु महाराजों को नमस्कार करता हूँ)।

एसो पंच णमुक्कारो (इन पाँचों को किया हुआ नमस्कार)।

सत्व पावप्पणासणो (सब पापों का नाश करने वाला है)।

मंगलाणंच सव्वेसिं

पढमं हवई मंगल (सभी मंगलों में श्रेष्ठ मंगल है)।

नवकार मंत्र का रचयिता कोई नहीं है। यह मंत्र शाश्वत है। अनादिकाल से प्रचलित है। इसमें कुल अड़सठ अक्षर हैं। ये अड़सठ तीर्थ के सूचक हैं, जिसमें अक्षर थोड़े हों, भाव अधिक हो, इसके जाप से ईष्ट फल की प्राप्ति हो, वह मंत्र कहलाता है। पंच परमेष्ठि नमस्कार महामंत्र,पंचमंगल महाश्रुतस्कंध भी कहते हैं। पंच परमेष्ठि के पाँचों पदों के कुल मिलाकर 108 गुण पंच परमेष्ठि में अरिहंत और सिद्ध दो देव हैं, आचार्य, उपाध्याय एवं साधु ये तीन गुरु हैं। अरिहंत, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय, साधु, दर्शन, ज्ञान, चारित्र व तप नवपद हैं। नवकार को 14 पूर्व का सार कहा है।

संसार के सभी दूसरे मंत्रों में भगवान से या देवताओं से किसी न किसी प्रकार की माँग की जाती है, लेकिन इस मंत्र में कोई माँग नहीं है। जिस मंत्र में कोई याचना की जाती है, वह छोटा मंत्र होता है और जिसमें समर्पण किया जाता है, वह मंत्र महान होता है। इसमंत्र में पाँच पदों को समर्र्पण और नमस्कार किया गया है इसलिए यह महामंत्र है। नमो व णमो में कुछ लोगों का मतभेद है, लेकिन प्राकृत व्याकरण की दृष्टि से दोनों सही हैं। एक-दूसरे को गलत कहना संप्रदाय हठ है।

नमो अरिहंताणं में बहुवचन है, इस पद में भूतकाल में जितने अरिहंत हुए हैं, भविष्य में जितने होंगे और वर्तमान में जितने हैं, उन सबको नमस्कार करने के लिए बहुवचन का प्रयोग किया गया है। जैन दृष्टि से अनंत अरिहंत माने गए हैं। अरिहंत चार कर्मों के क्षय होने पर जबकि सिद्ध आठ कर्मों के क्षय होने पर बनते हैं। लेकिन सिद्ध की आत्मा भी अरिहंतों के उपदेश से ही चारित्र लेकर कर्मरहित होकर सिद्ध बनती है तथा सिद्ध बनने का मार्ग व सिद्ध का स्वरूप अरिहंत ही बताते हैं, इसलिए पहले अरिहंत को नमस्कार किया गया है।

नमोकार मंत्र पूर्णतः आध्यात्मिक विकास का मंत्र है, इस मंत्र द्वारा लौकिक आशाओं, आकांक्षाओं की पूर्णता की परिकल्पना करना ही इस मंत्र की अविनय और अशातना है। इस मंत्र के पदों का जो क्रम रखा गया है, वह आध्यात्मिक विकास के विभिन्ना आयामों और उनके सूक्ष्म संबंधों के बड़े ही वैज्ञानिक विश्लेषण का परिचायक है।

 

नवकार मंत्र गिनने के लाभ

नवकार मंत्र का भावपूर्वक एक अक्षर बोलने पर :- सात सागरोपम जितने पापो का नाश होता है ।

“नमो अरिहंताणं” इतना एक पद बोलने पर :-50 सागरोपम जितने पाप नष्ट होते है ।

संपूर्ण नवकार मंत्र गिनने से 500 सागरोपम जितने पाप नष्ट होते हैं एवं सुबह उठकर आठ नवकार् गिनने से 4000 सागरोपम जितने पाप नष्ट होते हैं।

संपूर्ण नवकार वाली गिनने से 54000 सागरोपम जितने पाप नष्ट होते है। सागरोपम अर्थात् गिनने में कठिनाई हो इतने अरबों वर्ष। यह नवकार महामंत्र शक्तिदायक, विध्नविनाशक,प्रभावशाली, चमत्कारी है।

जन्म के समय बालक के कान में यह मंत्र सुनाने से उसके जीवन में समृद्धि प्राप्त होती है एवं मृत्यु के समय सुनाने पर सदगति प्राप्त होती है। दॄढ विश्वास तथा शुद्ध मन से इस मंत्र का जाप नित्य करने से विश्व में , परिवार में तथा मन में शांति रहती है , मन स्वच्छ और निर्मल बनता है।

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