नई दिल्ली।
अभी 2 दिन पहले संसद के दोनों सदनों से स्वीकृत की गई वक्फ संशोधन बिल को राष्ट्रपति महोदया की मंजूरी मिलने के साथ ही अब ये कानून बन चुका है। इस वक्फ बिल संशोधन बिल को पास करवाने के दौरान दो महत्वपूर्ण घटना हुई जिसे काफी बारीकी से देखने वालों को ही समझ आई।
पहली घटना तो ये हुई कि इस बिल के आने से मुस्लिम संगठनों में दो फाड़ होता दिखा जिसमें एक धड़ा इस संशोधन के पक्ष में था और दूसरा इसके विरोध में।
संशोधन के पक्ष में मुस्लिम राष्ट्रीय मंच और पसमांदा समाज के लोग थे।जबकि, विरोध में अशराफ और सैयद आदि
इससे एक बहुत बड़ा संदेश मिला कि… मुस्लिम मंच को और ज्यादा सशक्त किये जाने की जरूरत है।और, दूसरा संदेश ये मिला कि ऐसा नहीं है कि गट्ठर खोला ही नहीं जा सकता है…
और, यह अभेद्य है।
अब यह स्पष्ट हो गया है कि गट्ठर खोला भी जा सकता है और बंधन काटा भी जा सकता है…
बशर्ते कि स्ट्रेटर्जी सही हो.
साथ ही, इस बिल के दौरान एक खास बात शायद बहुत कम लोगों ने नोटिस किया कि… मोदी जी संसद के किसी भी सदन में मौजूद नहीं थे.. बल्कि, वे विदेशी दौरे पर थे.
कहने का मतलब है कि… इस टास्क को पूरा करने की पूरी जिम्मेवारी उनके सेनापति ने ले रखी थी..
और, धारा 370 हटाने की तरह इस बार भी उनके सेनापति ने इस बार भी संगठनात्मक क्षमता के साथ साथ अन्य राजनैतिक पार्टियों से सामंजस्य एवं फ्लोर मैनेजमेंट की क्षमता का उत्कृष्ट प्रदर्शन किया।
पता नहीं लोग क्या सोचते हैं या कितना समझते हैं…
लेकिन, मुझे साफ-साफ दिख रहा है कि… ये सिर्फ संशोधन बिल नहीं था।बल्कि, एक अग्नि परीक्षा थी जो अपने उत्तराधिकारी को चुनने के लिए आयोजित की गई थी कि.. देखें, तुममें कितनी काबिलियत है। बहुत से लोगों को शायद ये पसंद न आये लेकिन शायद अब इसी बिल के बाद इस यक्ष प्रश्न का पटाक्षेप भी हो गया है कि मोदी जी के बाद कौन..?
शायद इस बिल के जरिए मोदी जी ने बिना कुछ कहे ही सबको संदेश दे दिया है कि मोदी जी के बाद उनका उत्तराधिकारी कौन है ???
यहाँ मैं स्पष्ट करता चलूँ कि बेशक महाराज जी बेहद कुशल प्रशासक हैं और वे प्रधानमंत्री पद के लिए योग्य उम्मीदवार हैं।लेकिन, जहाँ तक मैं राजनीति को समझ पा रहा हूँ तो शायद उनका नंबर अभी के उत्तराधिकारी के बाद ही आएगा।
क्योंकि, सारी की सारी परिस्थियाँ इसी ओर इशारा कर रही हैं.
हालांकि इसे संसद में पारित करवाना इतना आसान नही था लेकिन मोदी और अमित शाह की दूरदर्शी नेतृत्व के कारण ये संभव हो पाया।