

रिची गुरुकुल उद्घाटित
हुबली। पाश्चात्य संस्कृति में गले तक डूबे हुए आध्यात्मिकता की दुहाई देना आत्म धर्म और परमात्मा दोनोे के साथ धोखा करने के समान है उक्त विचार राष्ट्र संत कमल मुनि जी कमलेश ने नूतन गुड़ी पड़वा के अवसर पर व्यक्त किये।
रविवार को रिची गुरुकुल और विद्यालय के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए महाराज श्री ने कहा कि आध्यात्मिक संस्कृति के साथ सौतेला व्यवहार करने वाला धार्मिकता में प्रवेश कैसे करेगा। आज का युवा पाश्चात्य संस्कृति के पीछे इतना भाग रहा है वो समाज के लिए हानिकारक है। उन्होंने कहा कि आध्यात्मिक संस्कारों का बीजारोपण संस्कृति की रक्षा, शरीर को निरोग, आत्मा को पवित्र और चरित्र का निर्माण करता है।
मुनि कमलेश ने बताया कि 31 मार्च अंग्रेजों का गुलामी का प्रतीक है उसको मनाना शहीदों के घाव पर नमक छिड़कने के समान है हमारा नया वर्ष गुड़ी पड़वा और भगवान महावीर के निर्वाण के दूसरा दिन उसका स्वाभिमान है धार्मिकता का प्रतीक है।
राष्ट्र संत ने कहा कि शहीदों ने विदेशी वस्तुओं की होली जलाई थी उनको खरीदना शहीदों का अपमान करने के समान है पाश्चात्य संस्कृति का हमला आतंकवाद से भी खतरनाक है।
जैन संत ने आगे कहा कि आज भी शिक्षा, चिकित्सा, न्याय प्रणाली अंग्रेजों की गुलामी मानसिकता का प्रतीक है उसे हटाने की जरूरत है। महाराज जी ने कहा कि गुरुकुल पद्धति, आयुर्वेद और तत्काल न्याय आज के समय की सबसे बड़ी आवश्यकता है।
उपन्यास प्रवर यश विजय जी ने कहा कि संस्कृति संत और संस्कारों की रक्षा के लिए हम सबको एक होना होगा।
गुरुकुल के प्रमुख अंबर साकरिया ने बताया कि गुरु भगवंतो की प्रेरणा से 10 एकड़ जमीन में करीब 40 करोड़ की लागत से गुरुकुल विद्यालय, वृद्धि साधु साध्वी सेवा केंद्र, उपाध्याय मंदिर सभी बनाए जाएंगे। अवसर पर मांगीलाल जैन, विजय राज गोलछा, अक्षय मंडोत, निलेश जैन ने सभी का अभिनंदन किया। दोनों गुरु देवों ने नव वर्ष का मंगल आशीर्वाद प्रदान किया 31 मार्च को सकल जैन समाज की वीरांगना सम्मान समारोह का कार्यक्रम है।