मनुष्य जन्म मिला है भगवत्प्राप्ति के लिये : राष्ट्रसंत पूज्य श्री कमल मुनि “कमलेश”
आप चाहे मेरा कहना मान लो, चाहे गीता, रामायण आदि ग्रन्थों की बात मान लो, चाहे अन्य किसी की बात मान लो, सबकी खास बात यही है कि मनुष्य जन्म भगवत्प्राप्ति के लिये ही मिला है। भगवत्प्राप्ति के सिवाय मनुष्य जन्म का दूसरा कोई प्रयोजन नहीं है। भगवत्प्राप्ति के बिना मनुष्य शरीर भी चौरासी लाख योनियों की तरह ही है। इसलिये मनुष्य जन्म के मूल्य को समझें। विचार करें कि मनुष्य जन्म क्यों मिला है ? भगवान् ने क्यों दिया है? हमने क्यों लिया है? परमात्मप्राप्ति के बिना मनुष्य जन्म का क्या प्रयोजन है ?मनुष्य जन्म ही एक ऐसा है, जिससे मनुष्य सदा के लिये दुःखों से मुक्त हो सकता है-
साधन धाम मोच्छ कर द्वारा।पाइ न जेहिं परलोक सँवारा॥
सो परत्र दुख पावइ सिर धुनि धुनि पछिताइ ।कालहि कर्महि ईस्वरहि मिथ्या दोस लगाइ ॥
ऐसे शरीर को प्राप्त करके भी अगर आध्यात्मिक उन्नति नहीं की तो क्या किया ? आध्यात्मिक तत्त्व की प्राप्ति के लिये ही मनुष्य जन्म मिला है, इसके सिवाय मनुष्य जन्म का और क्या मतलब है? अगर यह भी आपने नहीं किया तो मनुष्य होने का क्या मतलब हुआ? मनुष्य हो, चाहे कीड़ा-मकोड़ा हो, फर्क क्या हुआ? मनुष्य जन्म की सार्थकता क्या हुई ? परमात्मप्राप्ति के विषय में आप जोर से नहीं लगे तो फिर आपने क्या किया ? क्या मतलब सिद्ध किया ? चाहे भाई हो, चाहे बहन हो, अगर उसने परमात्मप्राप्ति का उद्देश्य नहीं रखा तो मनुष्य जन्म का क्या मतलब है।