अन्याय करना हिंसा है, तो अन्याय को सहना भी हिंसा है – राष्ट्र संत पूज्य श्री कल मुनि कमलेश
हुबली।
अहिंसा को डरपोक कमजोर, बुजदिल, पलायन अथवा भगोड़े के नाम से पुकारता है वह अहिंसा के मर्म से अनभिज्ञ है, उक्त विचार राष्ट्र संत कमल मुनि जी कमलेश हुबली स्थित वसुपूज्य जैन मूर्ति पूजक भवन में धर्मसभा को संबोधित करते व्यक्त किये।
महाराज श्री ने कहा कि हिंसा नहीं करना यह अधूरी अहिंसा है हिंसा को रोकने के लिए कफन सर पर बांधकर जीने मरने की परवाह किये मैदान में उतरने वाला सच्चा अहिंसा वादी है।
उन्होंने कहा कि अन्याय करना हिंसा है, तो अन्याय को सहना भी हिंसा है। अन्याय और जुल्म का प्रतिकार करना अहिंसा की सही परिभाषा है।
मुनि कमलेश ने आगे कहा कि होती हुई हिंसा को देखकर मौन रहना, उदासीन होना अथवा हाथ पर हाथ रखकर बैठना भी अहिंसा को कलंकित और बदनाम करने के समान है।
राष्ट्र संत ने बताया कि धर्म, देश और समाज की रक्षा के लिए प्रतिपल प्राण लूटाने को तैयार रहता है, वह सच्चा धार्मिक कहलाता है।
श्वेतांबर मूर्ति पूजक पन्यास परम यश विजय जी ने बताया कि संगठन में जिनका विश्वास है वह अहिंसा का उपासक है अपने स्वार्थ अहंकार के लिए संगठन को कमजोर करना हिंसावादी है।

सक्षम मुनि जी कौशल मुनि जी , घनश्याम मुनि जी, चरित्र यश विजय जी, दक्ष विजय जी ने विचार व्यक्त किया। राजस्थान पत्रिका के संपादक राजपुरोहित जी संघ के पूर्व अध्यक्ष महेंद्र सिंह जी सिंघवी ने आगामी 1 अप्रैल 2025 को हुबली पत्रिका संस्करण की स्थापना दिवस पर पधारने की विनती की।