कट्टरता हिंसा की जननी हैः राष्ट्र संत कमल मुनि कमलेश
हुबली।
धर्म के नाम पर उत्पन्न होने वाली नफरत, कट्टरता, फिरकापरस्ती, अलगाव अपने आप में अधर्म और पाप है उक्त विचार राष्ट्र संत कमल मुनि जी कमलेश ने हुबली स्थित जैन स्थानक में आचार्य सम्राट आनंद ऋषि जी की पुण्यतिथि पर आयोजित धर्मसभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किये। महाराज श्री ने आगे कहा कि विश्व का कोई भी धर्म मानव मानव के बीच खाई पैदा करने की इजाजत नहीं देता, ये आपस में लड़ाने वाले लोग अपना उल्लू सीधा करने के लिए इस प्रकार की कुकृत्य करते हैं।
उन्होंने कहा कि कट्टरता अपने आप में क्रूरता से संवेदना समाप्त होती है और हिंसा की जननी है उसे ज्वाला में स्वयं के सदगुण जलकर नष्ट हो जाते हैं। कट्टरता ना समाज के लिए सही है और ना ही राष्ट्र के लिए। कोई भी धर्म नफरत का समर्थन नहीं करता।
मुनि कमलेश जी कहा किविश्व बंधुत्व की भावना दिलों में साकार होने पर ही धार्मिकता में प्रवेश होता है सभी धर्म का मूल्य ही सद्भाव है।
राष्ट्र संत ने कहा कि देश में सैकड़ो धर्म है यदि सभी कट्टरता का नारा देंगे तो देश के सैकड़ो टुकड़े हो जाएंगे जब देश ही नहीं रहा तो हमारा अस्तित्व कहां से रहेगा। कट्टरपंथी धर्मद्रोही और देशद्रोही भी है।
जैन संत ने कहा आचार्य सम्राट ने जीवन पर्यंत पदयात्रा करते हुए समन्वय प्रेम एकता और भाईचारे का पाठ पूरी मानव समाज को दिया। अवसर पर मुनि कमलेश के सभी जनता को एकता के शपथ दिलाई।
अखिल भारतीय जैन दिवाकर विचार मंच,नई दिल्ली महिला शाखा की राष्ट्रीय अध्यक्ष मंगल भंडारी ने कहा कि संत वही है जो प्रेम का संदेश दे, जो समाज को जोड़ने का काम करें। उन्होंने बताया की आगामी 31 मार्च को वीरांगना सम्मान समारोह का आयोजन हो रहा है और यही से पूरे कर्नाटक में क्रांति फैलानी है।
दिवाकर मंच की ज्योति छाजेड़ ने कहा कि दिवाकर मंच के 18 राज्य में धार्मिक, सामाजिक, राजनीतिकस प्रशासनिक अधिकारी सहित हजारों कार्यकर्ता वीरांगना, नशा मुक्ति, अहिंसा, गो रक्षा, राष्ट्रीय एकता का काम कर रहे हैं।