Wednesday, May 21, 2025
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तीन सौ साल बाद उदयपुर दरबार ने भेजा बुलावा, सिटी पैलेस में राजपुरोहितों के पांच गांवों का होगा सम्मान

तीन सौ साल बाद उदयपुर दरबार ने भेजा बुलावा, सिटी पैलेस में राजपुरोहितों के पांच गांवों का होगा सम्मान

उदयपुर।

उदयपुर के सिटी पैलेस से 300 वर्षों बाद एक ऐतिहासिक बुलावा भेजा गया है। यह आमंत्रण मेवाड़ के गेनड़ी, पिलोवणी, वणदार, रूंगड़ी और शिवतलाव गांवों के राजपुरोहितों के लिए है। बुधवार को इन गांवों के 130 से अधिक बुजुर्ग सिटी पैलेस पहुंचेंगे, जहां डॉ. लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ उन्हें ससम्मान शंभू निवास ले जाएंगे। इस पहल के माध्यम से उन्होंने न केवल अपने पूर्वजों की परंपरा को पुनर्जीवित किया है, बल्कि समाज को एक महत्वपूर्ण संदेश भी दिया है। यह बुलावा राजपुरोहित समाज के लिए गर्व का क्षण है और गांवों में इसे लेकर गहरी उत्सुकता देखी जा रही है।

हल्दीघाटी युद्ध के बाद जागीर में मिले थे पांच गांव

वणदार के ग्रामीणों ने बताया कि महाराणा प्रताप के साथ हल्दीघाटी का युद्ध लड़ते हुए नारायण दास राजपुरोहित वीरगति को प्राप्त हुए थे। उनकी वीरता और बलिदान के सम्मान में महाराणा ने उनके वंशजों को गेनड़ी, पिलोवणी, वणदार, रूंगड़ी और शिवतलाव गांव जागीर में दिए थे। ये पांचों गांव सदियों से मेवाड़ का अभिन्न हिस्सा रहे हैं और सिटी पैलेस से इनके गहरे संबंध रहे हैं।

पूर्व में इन गांवों की बहन-बेटियां हर वर्ष सिटी पैलेस में राखी भेजती थीं और बदले में राजमहल से उनके लिए चूंदड़ (परंपरागत चुनरी) भेजी जाती थी। यह परंपरा लंबे समय तक चली लेकिन अचानक महल की ओर से चूंदड़ भेजना बंद हो गया। इसके बावजूद गांवों की महिलाओं ने तीन दशकों तक राखी भेजना जारी रखा, यह उम्मीद करते हुए कि दरबार की ओर से पुनः जवाब मिलेगा।
परंपरा टूटी

जब पैलेस की ओर से कोई जवाब नहीं आया तो गांव की बहन-बेटियों ने एक दिन बुजुर्गों को इकट्ठा करके एक वचन मांगा और कहा कि जब तक दरबार से बुलावा नहीं आए इन गांवों से कोई राजपुरोहित महलों में नहीं जाएगा। यह निर्णय सम्मान और स्वाभिमान का प्रतीक था। इसी के साथ यह परंपरा धीरे-धीरे समाप्त हो गई और तीन शताब्दियों तक इस रिश्ते में दूरी बनी रही।

लेकिन अब अरविंद सिंह मेवाड़ के निधन के बाद उनके पुत्र डॉ. लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने इस ऐतिहासिक परंपरा को पुनर्जीवित करने का निर्णय लिया। उन्होंने व्यक्तिगत रूप से इन गांवों को सिटी पैलेस आने का आमंत्रण भेजा। यह न केवल बीते 300 वर्षों से ठहरी हुई परंपरा को पुनः जीवंत करने की पहल है, बल्कि मेवाड़ के गौरवशाली अतीत और संबंधों को फिर से सशक्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी है।

पांच बसों में सवार होकर आएंगे गांव के बुजुर्ग

इस बुलावे के बाद पांचों गांवों में हर्ष का माहौल है। बुधवार को इन गांवों से लगभग पांच बसों में सवार होकर 130 से अधिक बुजुर्ग सिटी पैलेस पहुंचेंगे। यहां डॉ. लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ उनका स्वागत और सम्मान करेंगे। यह क्षण न केवल गांवों के लिए, बल्कि पूरे मेवाड़ के लिए ऐतिहासिक होगा।

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