Wednesday, May 21, 2025
Google search engine
Homeबेबाक बातपति-पत्नी के पवित्र रिश्ते में घातक है "वो"

पति-पत्नी के पवित्र रिश्ते में घातक है “वो”

पति-पत्नी के पवित्र रिश्ते में घातक है “वो”

 

1978 में बीआर चोपड़ा ने  ‘पति पत्नी और वो’ बनाई थी जो उस समय काफी पसंद की गई थी। अब उनके पोतों ने इसी नाम से रीमेक बनाया है। पति-पत्नी के रिश्ते को लेकर खूब लिखा गया है।  पति-पत्नी के बीच यदि ‘वो’ आ जाए तो स्थिति बहुत ही विकट हो जाती है। 
पति पत्नी और वो में रिश्तों के बनते-बिगड़ते समीकरण को हल्के-फुल्के तरीके से पेश किया गया है। तीनों ही किरदार बड़े मासूम से लगते हैं। पति गलती भी करता है तो दर्शक ज्यादा चिंतित नहीं होते क्योंकि सभी जानते हैं कि उसका दिल बहुत अच्छा है और देर-सबेर सुबह का भूला घर लौट ही आएगा। उसके बाद 1990 में एक और फिल्म आई पति-पत्नी और तवायफ। दोनों ही फिल्मों में तीसरे के कारण परिवार का टूटना दिखाया गया, खैर वो तो फिल्म थी इसलिए कोई खास बात नहीं है लेकिन पिछले कुछ समय से देश में हो रही घटनाएँ तो सभ्य समाज के लिए सही नहीं है। 

आपने अक्सर सुना होगा पति-पत्नी और ‘वो’ लेकिन ‘वो’ के कारण मेरठ हत्याकांड जैसा विध्वंस हो जाए तो यह समाज को हिलाकर रख देता है। मेरठ और जयपुर में हुए हत्याकांड इन दिनों चर्चित हैं। पति पत्नी जैसे करीबी रिश्तों में इस तरह का आक्रामक व्यवहार एवं अपराध की घटनाएं हर इंसान को सोचने पर मजबूर कर देती है कि हम कैसे समाज में रह रहे हैं? रिश्तों का आपसी प्यार, लगाव, मर्यादा एवं मान-सम्मान जैसे मूल्य धीरे-धीरे विलुप्त होते जा रहे हैं। उनका स्थान गुस्सा, बर्बरता जैसे अवगुण ले रहे हैं। जन्म जन्म का साथ निभाने का वादा करने वाले तीसरे के जीवन में आ जाने से खून के प्यासे हो जाते है और उसको रास्ते से हटाने के लिए ऐसे वीभत्स कांड कर देते है कि रुह तक कांप जाये।
ज्यादातर लोग अपनी सुबह की शुरुआत अखबार पढक़र करते हैं, पर सोचने वाली बात है कि ऐसी भयावह खबरों को पढक़र व्यक्ति को साइकोलॉजिकल ट्रोमा की स्थिति से गुजरना पड़ता है। व्यक्ति दिनभर उन खबरों के बारे में सोचकर एक अजीब कश्मकश में बना रहता है। ऐसी घटनाएं न केवल मानसिक आघात का कारण बनती है बल्कि आमजन में डर, घबराहट, गुस्सा, अविश्वास की भावनाओं को भी जन्म देती हैं। इन दोनों ही घटनाओं का मनोवैज्ञानिक विश्लेषण करने पर कुछ महत्त्वपूर्ण कारक निकलकर सामने आते हैं। जैसे कि नशा या नशे की लत। यह आपराधिक व्यवहार को बढ़ावा देती है, नशे को प्राप्त करने के लिए अपराध या नशे के प्रभाव में अपराध को अंजाम देना आसान हो जाता है। नशा सामाजिक इन्हिबिशंस या अवरोधों को खत्म कर देता है, जिससे व्यक्ति एक्सट्रीम में जाकर किसी भी काम या अपराध को अंजाम दे सकते हैं। मेरठ केस में महिला नशे की आदी थी और नशा निरंतर लेते रहने की भावना से प्रेरित होकर उसने अपने पति, जो कि उसकी इस नशे की लत में बाधा बन सकता था, उसकी हत्या की साजिश रची। नशे के असर से भावनाएं शून्य हो जाती हैं। दूसरे व्यक्ति के प्रति दया भाव या उसके दर्द को महसूस करने की क्षमता क्षीण हो जाती है।
विवाहेत्तर संबंध भी रिश्तों के खराब होने का एक बड़ा कारण हैं। पति-पत्नी के संबंधों के बीच कोई दूसरा व्यक्ति आ जाए तो जीवन में तनाव की स्थिति हो जाती है। टीवी, वेबसीरीज और फिल्मों में हत्या, अपराध, विवाहेत्तर संबंध आदि बहुत दिखाया जा रहा है। ये माध्यम इंसान के जीवन में आईने की भूमिका अदा करते हैं, बहुत से लोग उसको देखकर प्रेरित होते हैं। ऐसा देखा गया है कि शादी के बाद एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर होने के मुख्य कारण इमोशनल सपोर्ट प्राप्त करना एवं अकेलेपन को दूर करना है। व्यक्ति को, जो अपने निजी रिश्ते में नहीं मिलता और वो उसे बाहर दूसरे व्यक्ति में खोजता है। इन घटनाओं में अपराध संवेदनशीलता, सहनशीलता, आपसी जुड़ाव जैसी भावनाओं की क्षीणता को दर्शाता है। एक उज्ज्वल समाज के भविष्य के लिए नैतिक मूल्यों का ह्रास ठीक नहीं है। नैतिक मूल्य ही समझाते हैं कि मानव व्यवहार को कैसे निर्देशित किया जाए ताकि इंसान सही और गलत के बीच का अंतर समझ सके। नैतिक मूल्य जैसे कि ईमानदारी, सहानुभूति, दया भाव, आत्म अनुशासन, रिश्तों में सामंजस्य, आपसी सम्मान इत्यादि इंसान के चरित्र निर्माण का आधार बनते हैं और उसी चरित्र निर्माण की प्रक्रिया में इंसान रोजमर्रा के निर्णयों में सही गलत का चुनाव करना सीखता है। यही सही-गलत निर्णय लेने की सीख आगे चलकर गंभीर मुद्दों पर भी लागू होती है।
परंतु दुर्भाग्यवश आज ये सब मूल्य निम्न स्तर पर आ गए हैं। पहले नैतिक मूल्यों के पाठ स्कूलों में भी पढ़ाए जाते थे परंतु आज के दौर में केवल नंबर बढ़ाने की होड़ हो रही है, जिससेे सामाजिक मूल्य कहीं गुम से होते जा रहे हैं। आवश्यकता है कि हम अपने व्यवहार का मूल्यांकन निरंतर आत्मचिंतन के द्वारा करते रहें ताकि सही गलत को समय रहते सुधारने का अवसर प्राप्त हो। आज रिश्तों में नैतिक मूल्यों को बढ़ावा देना और ज्यादा महत्त्वपूर्ण हो गया है। सहानुभूति व सहिष्णुता जैसे गुणों को अपनाने से ही सामंजस्यपूर्ण रिश्तों की नींव बनती है।

टीवी, फिल्म, वेबसीरीज,सोशल मीडिया पर हत्या,अपराध,विवाहेत्तर संबंध आदि पर बहुत अधिक दिखाया जा रहा है। ये माध्यम इंसान के जीवन में आइने की तरह की भूमिका अदा करते है। ऐसा देखा गया है कि एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर होने के मुख्य कारण इमोशनल सपोर्ट प्राप्त करना एवं अकेलेपन  को दूर करना है।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments