मनुष्य के विवेक को खा जाता है क्रोध- राष्ट्रसंत पू.श्री कमलमुनि कमलेश
धारवाड़ कर्नाटक 23 मार्च 2025
क्रोध मनुष्य के विवेक को खा जाता है और इसी से मानव का पतन होता है ,ज्ञानी तपस्वी साधक में भी जब क्रोध के आवेश का संचार होता है तो वह शैतान और राक्षस बन जाता है उक्त विचार राष्ट्रसंत कमल मुनि जी कमलेश ने धर्मसभा को संबोधित करते व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि विश्व के सभी धर्मों ने क्रोध को आत्मा और शरीर के लिए हानिकारक बताया है। इसलिए हमारे ऋषि मुनियों ने क्रोध को काबू में करने के लिए साधना करने के पर बल दिया हैं। महाराज श्री ने कहा कि आग से आग को नहीं बुझाया जा सकता वैसे ही क्रोध को कभी क्रोध से समाप्त नहीं किया जा सकता। क्षमा से क्रोध पर विजय प्राप्त की जा सकती है। महाराज जी ने आगे बताया कि क्रोध एक ऐसी भावना है जो हम सभी को कभी न कभी अनुभव होती है। यह एक सामान्य और स्वाभाविक प्रतिक्रिया है जो हमें खतरे या असमानता के प्रति सचेत करती है। हालांकि, जब क्रोध अनियंत्रित हो जाता है, तो यह हमारे विवेक को समाप्त कर सकता है और हमारे जीवन को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है।
मुनि कमलेश ने बताया कि क्रोध के प्रभाव से वर्षों का प्रेम और साधना पल भर में जलकर खाक हो जाती है। क्रोध पर काबू करने वाला विजेता विश्व विजेता से बढ़कर है।
राष्ट्रसंत ने कहा कि क्रोध कोई समस्या का समाधान नहीं है। क्रोध से बनते हुए काम भी बिगड़ जाते हैं और आत्मा दुर्गति का मेहमान बन जाती है। क्रोध के कारण हमारे विचार अस्पष्ट हो सकते हैं और हम सही निर्णय लेने में असमर्थ हो सकते हैं। क्रोध के कारण हमारी भावनाएं अस्थिर हो सकती हैं और हम अपने आसपास के लोगों के प्रति नकारात्मक व्यवहार कर सकते हैं। क्रोध के कारण हमारे संबंधों में समस्याएं आ सकती हैं और हम अपने परिवार और मित्रों के साथ संबंध खराब कर सकते हैं और क्रोध के कारण हमारे शारीरिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, जैसे कि उच्च रक्तचाप, हृदय रोग और पाचन समस्याएं आदि उत्पन्न हो जाती है। जैन संत ने कहा कि किसी के निमित्त से क्रोध आने पर उसका नुकसान हो या ना हो अपने सद्गुण जलकर नष्ट हो जाते हैं। इसलिए क्रोध पर काबू रखना चाहिए। महाराज श्री ने क्रोध को नियंत्रित करने के लिए नियमित व्यायाम, ध्यान,सत्संग एवं संवाद करना चाहिए।
अखिल भारतीय जैन दिवाकर विचार मंच नई दिल्ली कर्नाटक शाखा के राजेंद्र बोहरा ने बताया कि राष्ट्रसंत हुबली से बेंगलुरु की बाईपास से होकर मई के अंतिम सप्ताह में चेन्नई पधारने की संभावना है चातुर्मास चेन्नई में है।