बेलगांव।
“शादी समारोह ,मांगलिक अवसरों पर लोग घोड़े और कुत्तों को बड़े चाव से लेकर जाते हैं लेकिन विधवा स्त्री की छाया भी नहीं पड़ने देते हैं ये बर्ताव किसी भी सभ्य समाज के लिए सही नहीं है”
उक्त विचार राष्ट्र संत कमल मुनि जी कमलेश ने बेलगांव स्थित जैन स्थानक में आयोजित वीरांगना सम्मान समारोह को संबोधित करते कहा कि पशु से भी निर्दोष माता-बहनों (विधवा) की हालात हमने खराब कर दी इसे बड़ा दुर्भाग्य और क्या हो सकता है?
उन्होंने कहा कि पत्नी के मरते ही श्मशान भूमि में ही आदमी के दुबारा शादी की चर्चा शुरू हो जाती है, हम कितने निष्ठुर और संवेदनाहीन हो गए हैं ऐसे व्यक्ति धार्मिक या इंसान कहलाने के अधिकारी भी नहीं है।
मुनि कमलेश ने कहा कि निर्दोष को सजा देने से बड़ा पाप और क्या हो सकता है, विधवा बहन को किस बात की सजा दी जा रही है,क्या उसने पति को गला दबा के मारा? क्या उसको अपने पति से प्यार नहीं था फिर भी उसी महिला को समाज में हेय दृष्टि से देखा जाता है।
राष्ट्रसंत ने कहा कि जन्म देने वाली मां,बहन, भाभी,काकी हमारे लिए अपशकुन कैसे हो सकती है। इसलिए देश में एक क्रांति की आवश्यकता है जो विधवा महिला को भी सुहागिन महिला की तरह मांगलिक अवसरों पर शामिल होने का हक मिल सके।
जैन संत ने कहा की उनको भी सम्मान स्वाभिमान और इज्जत से जीने का अधिकार है। महाराज साहब के क्रांतिकारी विचारों को सुनकर बहुत से लोगों ने संकल्प लिया कि अब सभी मांगलिक कार्यों को वीरांगनाओं से करवाएंगे साथ ही विधवा शब्द का प्रयोग नहीं करेंगे।
अखिल भारतीय जैन दिवाकर विचार मंच,नई दिल्ली के वीरांगना राष्ट्रीय आंदोलन के अंतर्गत श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन सेवक संघ ने बेलगांव ने वीरांगनाओं का शाल उढाकर सम्मानित किया। सभी बहनों की आंखें खुशी से छलक पड़ी। सभा स्थल पर सभी में जोश उत्सव का संचार हुआ। संघ अध्यक्ष राजेंद्र जी कटारिया दिगंबर समाज के प्रमुख विनोद जैन ने भगवान महावीर जयंती पर दिगंबर समाज के 500 वीरांगना बहनों का सम्मान करने का संकल्प लिया। इस अवसर पर बडी संख्या में धर्मप्रेमी उपस्थित थे।