जल है तो कल हैं:राष्ट्रसंत पूज्य श्री कमलमुनि “कमलेश
पूरा विश्व 22 मार्च को विश्व जल दिवस मना रहा है बडे बडे आयोजन हो रहे हैं जल की महत्ता को बताने के लिए लेकिन जब तक मनुष्य को अपने नैतिक कर्तव्यबोध नहीं होगा, अपनी जिम्मेदारी का पूरी ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा को नहीं जानेगा तब तक बस 22 मार्च का “विश्व जल दिवस ” मनाने का पाखंड करता रहेगा। जल है तो कल है ये कटु सत्य है क्योंकि जिस प्रकार से जल का अत्याधिक दोहन हो रहा है,जल संरक्षण के प्रति लोगों की उदासीनता आने वाले समय में विश्व जल संकट का सामना करेगा। विश्व जल दिवस पर शपथ लीजिए कि न सिर्फ पानी बचाएंगे बल्कि दूसरों को जागरुक भी करेंगे क्योंकि बिन पानी सब सून है….आज भी भारत के कुछ इलाके ऐसे हैं जहां लोग पानी की कमी के कारण बेहद कष्टप्रद जीवन जी रहे हैं। वहीं दूसरी ओर पानी का दुरुपयोग किया जा रहा है। पानी को बचाएं क्योंकि जल है तो जीवन है। पानी कोई ऐसी वस्तु नहीं है, जिसका व्यापार किया जाए – यह जीवनदायी पदार्थ है। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि यह हर इंसान को उपलब्ध हो।
अप्सु अंत: अमृतं, अप्सु भेषजं
अर्थात जल में अमृत है, औषधि गुण हैं। -ऋग्वेद
ये सत्य अनादि काल से स्वीकार्य सर्वमान्य है कि जल ही सृष्टि का आधार है। हम जल राशियों का माँ का मान देते हैं। आइये विश्व जल दिवस के अवसर पर इसके सदुपयोग, संवर्द्धन और संरक्षण के प्रति संवेदनशील होकर प्रयासरत हों। जल को व्यर्थ न करें प्रदूषित होने से बचाएं।
जल ही जीवन है, जल के बिना जीवन की कल्पना भी मुश्किल है।
इसलिए जितना हो सके जल का संरक्षण करें।
रहिमन पानी राखिये, बिन पानी सब सून।
पानी गये ना ऊबरे, मोती, मानुष, चून।।
इस दोहें में रहीम ने पानी को तीन अर्थों में प्रयोग किया है। पानी का पहला अर्थ मनुष्य के संदर्भ में है जब इसका मतलब विनम्रता से है। रहीम कह रहे हैं कि मनुष्य में हमेशा विनम्रता ( पानी ) होना चाहिए। पानी का दूसरा अर्थ आभा, तेज या चमक से है जिसके बिना मोती का कोई मूल्य नहीं। पानी का तीसरा अर्थ जल से है जिसे आटे ( चून ) से जोड़कर दर्शाया गया है। रहीम का कहना है कि जिस तरह आटे का अस्तित्व पानी के बिना नम्र नहीं हो सकता और मोती का मूल्य उसकी आभा के बिना नहीं हो सकता है, उसी तरह मनुष्य को भी अपने व्यवहार में हमेशा पानी ( विनम्रता ) रखना चाहिए जिसके बिना उसका मूल्यह्रास होता है।
भारत में जल संकट की प्रमुख वजह अत्यधिक पानी का दोहन, अव्यवस्थित जल प्रबंधन, जलवायु परिवर्तन, बढ़ती जनसंख्या और जल स्रोतों का प्रदूषण हैं। ये सभी कारण जल संकट को और बढ़ा रहे हैं, जिससे पानी की उपलब्धता कम हो रही है
हम अपने जल स्त्रोतों को बचा सकते हैं और जल संरक्षण कर सकते हैं?
हम जल स्रोतों को बचाने के लिए वर्षा जल संचयन, पानी की बर्बादी को रोकना, जल पुनर्चक्रण और जल संरक्षण के उपायों को लागू कर सकते हैं।साथ ही, सामाजिक जागरूकता बढ़ाने के लिए स्कूलों और समुदायों में जल संरक्षण के बारे में शिक्षा दी जा सकती है।
जल के बिना जीवन संभव नहीं है, क्योंकि यह सभी जीवों की बुनियादी आवश्यकता है।जल बचाने के लिए हमें जल पुनर्चक्रण, नदियों और जलाशयों की सफाई, और पानी का उचित उपयोग करना चाहिए।इसके अलावा, सरकार और नागरिकों को मिलकर जल संकट से निपटने के लिए सख्त कदम उठाने चाहिए।