अध्यात्म ज्ञान के बिना सारा वैभव—सारा ऐश्वर्य और सारी उपलब्धियाँ व्यर्थ हैं : राष्ट्रसंत कमल मुनि “कमलेश “
वह मनुष्य निश्चय ही सौभाग्यवान है जिसने अपने अन्तःकरण को निर्मल बना लिया है और जिसका जीवन आध्यात्मिकता की ओर उन्मुख हो रहा है। अध्यात्म जीवन का वह तत्वज्ञान है, जिसके आधार पर मनुष्य विश्व ही नहीं अखण्ड ब्रह्माण्ड के सारे ऐश्वर्य को उपलब्ध कर सकता है। अध्यात्म ज्ञान के बिना सारा वैभव—सारा ऐश्वर्य और सारी उपलब्धियाँ व्यर्थ हैं। जो भाग्यवान अपने परिश्रम, पुरुषार्थ एवं परमार्थ से थोड़ा बहुत भी अध्यात्म लाभ कर लेता है वह एक शाश्वत सुख का अधिकारी बन जाता है। व्यवहार जगत में अनेक सीखने योग्य ज्ञानों की कमी नहीं है। लोग इन्हें सीखते हैं, उन्नति करते हैं, सुख−सुविधा के अनेक साधन जुटा लेते हैं। किन्तु इस पर भी जब तक वे अध्यात्म की ओर उन्मुख नहीं होते वास्तविक सुख-शाँति नहीं पा सकते।
संसार में पग-पग पर दुःख, क्षोभ और कलह, कलेश की परिस्थितियों में आना पड़ता है। इस प्रकार की प्रतिकूल परिस्थितियाँ, सुख-सुविधा के अनन्त साधन होने पर भी दुखी किए रहती हैं। मनुष्य के उपार्जित साधन उसकी कोई सहायता नहीं कर पाते। संसार में जिससे सामान्य प्रतिकूलताओं की यातना से तो सहज ही बचा जा सकता है, वह है आध्यात्मिक दृष्टिकोण एवं आचरण। आध्यात्मिकता के अभाव में सुख-शाँति सम्भव नहीं और उसके अभाव में दुःख अथवा अशाँति असम्भव है!