माता-पिता और गुरु का सम्मान करें : आचार्य रमाकांत गोस्वामी
अयोध्या। (10 अगस्त 2024)
माता,पिता और का सम्मान करने वाला मनुष्य इहलोक ही नहीं परलोक भी सुधार कर लेता है जिस घर में इन तीनों का सम्मान किया जाता है वह घर स्वर्ग के प्रति जान पड़ता है उक्त विचार आचार्य रमाकांत गोस्वामी जी ने व्यक्त किये।
राधे राधे ग्रूप,हैदराबाद के तत्वावधान में अयोध्या स्थित श्रीरामचरित्रमानस भवन में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान महोत्सव के तीसरे दिन ध्रुव चरित्र, पूर्वजन्म उपाख्यान, जड़ भरत कथा, प्रह्लाद चरित्र की कथा पर विस्तार से बताते हुए कथा व्यास आचार्य रमाकांत गोस्वामी ने कहा भगवान अपने भक्त की रक्षा करने स्वयं प्रकट होते है भक्त की भक्ति, उसकी आस्था को भगवान कभी भी निराश नहीं करते। महाराज जी ने कहा कि भक्त प्रह्लाद ने माता कयाधु के गर्भ में ही नारायण नाम का मंत्र सुना था। जिसके सुनने मात्र से भक्त प्रह्लाद के कई कष्ट दूर हो गए थे। स्वयं भगवान ने नृसिंह रुप धारण कर भक्त की रक्षा की।उन्होंने भगवान श्री कृष्ण की पावन लीलाओं का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि बच्चों को धर्म का ज्ञान बचपन में दिया जाता है, वह जीवन भर उसका ही स्मरण करता है। ऐसे में बच्चों को धर्म व आध्यात्म का ज्ञान दिया जाना चाहिए। माता-पिता की सेवा व प्रेम के साथ समाज में रहने की प्रेरणा ही धर्म का मूल है। अच्छे संस्कारों के कारण ही ध्रुव जी को पांच वर्ष की आयु में भगवान का दर्शन प्राप्त हुआ। इसके साथ ही उन्हें 36 हजार वर्ष तक राज्य भोगने का वरदान प्राप्त हुआ था। ऐसी कई मिसालें हैं, जिससे सीख लेने की जरूरत है।
महाराज जी ने आगे कहा कि मानव योनि हमें धर्म संग्रह करने के लिए मिली है, धर्म ही जीव के साथ जाता है। अधर्म से ही व्यक्ति के लोक और परलोक बिगड़ते हैं। जीवन में हमें धर्म का साथ कभी नहीं छोड़ना चाहिए।
कथा में नारद के पूर्व जन्म, कुंती स्थिति, भीष्म स्थिति, कलयुग के दिए पांच सिद्धांत की भी व्याख्या विस्तार से की। उन्होंने कथा के दौरान बच्चों के लिए उनके माता-पिता को सीख देते हुए कहा कि छोटे बच्चों व युवाओं को बिगाड़ने में मोबाइल का अहम योगदान है। बच्चों को मोबाइल से दूर रखना चाहिए। उन्होंने बताया कि मोबाइल के कारण बच्चे अब एकांतवासी होने लग गए हैं। इससे घर टूटने तक की मुसीबत आ खड़ी होती है।
इसका मुख्य अहम कारण मोबाइल फोन ही बन रहा है। उन्होंने उपस्थित श्रद्धालुओं को बताया कि वे अपने बच्चों को संस्कारी बनाने पर जोर दें। जिस घर में माता-पिता, दादा-दादी, भाई-बहनों के बीच आपसी प्रेम नहीं होता वह घर, घर नहीं होता। परिवार में आपसी प्रेम होना अत्यंत जरूरी है। उन्होंने कहा कि जहां प्रेम होता है वहां सौहार्द का वातावरण हमेशा बना रहता है।
महाराज जी ने वर्तमान परिदृश्य को ध्यान मे रखने का आग्रह करते हुए कहा कि हमें एक जुट रहना चाहिए पंथ और जाति के बंधन को तोड़ कर सभी को सनातनी बनने पर जोर दिया उन्होंन कहा कि हमें सिखों के गुरुद्वारों में जाकर मत्था टेकना चाहिए क्योकि सिख गुरुओं ने सनातन को बचाने के लिए अपने प्राणों का उत्सर्ग किया है।
कथा संयोजक डॉ, चन्द्रकला अग्रवाल, सतीश गुप्ता, आशा गुप्ता, भगतराम गोयल, सुमन लता गोयल, रामप्रकाश अग्रवाल , सुनीता अग्रवाल, जगत नारायण अग्रवाल, राजकुमारी अग्रवाल,सुशील गुप्ता, शीतल गुप्ता, महेश अग्रवाल, बबीता अग्रवाल,अमित अग्रवाल, शीतल अग्रवाल, प्रेमलता अग्रवाल (बंजारा हिल्स) उपस्थित थे। भागवत कथा में विजय प्रकाश अग्रवाल, बीना अग्रवाल, रमेश चंद्र गुप्ता, सत्यभामा गुप्ता, प्रेमलता अग्रवाल, नंद किशोर अग्रवाल,मंजू अग्रवाल, अनिता शाह,राजेंद्र अग्रवाल, संतोष अग्रवाल (बगड़िया) , अविनाश गुप्ता, सरिता गुप्ता, ज्ञानेन्द्र अग्रवाल, गायत्री अग्रवाल, वेद प्रकाश अग्रवाल, संतोष अग्रवाल, श्रीकिशन अग्रवाल, प्रेमलता अग्रवाल, सुभाष अग्रवाल, आशा अग्रवाल, बबीता गुप्ता, सुनीता गुप्ता, कौशल्या गुप्ता, पुष्पा अग्रवाल, अजय गोयल एवं कविता गोयल सहित सैकड़ों वैष्णवजन उपस्थित थे।