एक साथ तीन जगह समाये: बाबाकिशन पुरी’
मरुधरा राजस्थान की बात ही निराली है, राजस्थान राज्य के शेखावाटी क्षेत्र के गांव पचेरी कलां में स्थित बाबा किशनपुरी जी महाराज की तपोस्थली आज किसी परिचय का मोहताज नहीं है| बाबा किशनपुरी, संध्यानाथ और नागोजी की कर्मभूमि रही पचेरी संतों के आशीर्वाद से आज फलती फूल रही है! बाबा किशनपुरी के भक्त पूरे भारत में जहां पचेरी के लोग रहते है वहां बड़ी श्रद्धा और उमंग से पूजते है; बाबा का जन्म कब और कहां हुआ ये तो पूर्णत: ज्ञात नहीं पर बाबा किशनपुरी एक साथ तीन पचेरी,कासनभोडा एवं खुदरोढ) स्थानों पर जीवित समाधि ली थी इसके प्रमाण आज भी मौजूद है, बाबा अपने भक्तों के मनोरथ पूरा करते है तो उनके अनुयायी हर कार्य के प्रारम्भ में उन्हें याद करते है, यह धारणा भी है कि बाबा किशनपुरी का नाम लेकर किया जाने वाला हर काम निविघ्न संपन्न होता है, बाबा किशनपुरी के चमत्कार एवं पचेरी आगमन की रोचक जानकारी आप तक पहुंचाने का एक दुर्लभ कार्य करने का प्रयास किया जा रहा है|
वैसे तो राजस्थान के कण-कण में साधु-संतों के तप की गाथाएं भरी पड़ी है, धार्मिक व आस्थाओं पर यहां के लोगों का पूरा विश्वास है, हर गांव में ग्राम देवता का अपना महत्व होता है, समाज को नई दिशा देने में यहां के साधु-संतों के योगदान को नकारा नहीं जा सकता, सामाजिक कुरीतियों से कैसे लड़ा जा सकता है, इन महायोगियों ने समाज को बताया, इसलिए आज भी लोग इनकी पूजा-अर्चना करते हैं|
कहा जाता है कि आज से करीब ढाई सौ साल पहले बाबा किशनपुरी गांव के ही एक राजपूत परिवार के साथ पचेरी गांव में आये थे, बाबा एक सिद्ध योगी थे उनका कहना था कि वे किसी के घर में नहीं रहेंगे, तब उनके रहने के लिए गांव के पश्चिम दिशा में एक कुटिया बनाकर दी, गांव के बाहर होने के कारण लोगों को भय भी था कि कहीं बाबा पर कोई जंगली जानवर हमला ना कर दें लोगों ने बाबा से कहा भी लेकिन बाबा किशनपुरी ने कहा ये जानवर भी तो इसी धरती पर रहेंगे जहां मनुष्य रहते है, बाबा प्रकृति की देखभाल, व्यसन ना करने एवं समाज में जाति पांति के भेदभाव को समाप्त करने की शिक्षा देते थे|जब देश विभिन्न समस्याओं से घिरा था तब बाबा किशनपुरी ने समाज को नई दिशा दी|
कहा जाता है बाबा को चौपड़ खेलने का सौख था वे प्रतिदिन दौपहर को गांव की परश में चौपड़ खेलने के लिए आते थे, एक दिन की बात है बाबा जब पासे फैंक रहे थे अचानक उनके हाथ काले हो गये और हाथ मे छाले पड़ गये! लोगों ने पूछा बाबा ये क्या हो गया; तब बाबा किशनपुरी बोले अरे! वा बुढली नाण रोज फूट्यों री देगची चूल्हा पर खिचड़ी बनाने के लिए चढा दें हैं और कहै बाबा आज आज या खिचड़ी बना दें तड़ कै नई लिय्याऊंगी, पर लावै कोनी, और मैं वा फूट्योडी देगची पर हाथ लगानूं पड़ सै! एक बार तो लोगों को उनकी बात पर विश्वास नहीं हुआ पर जब उस नायण के घर जाकर देखा तो बाबा किशनपुरी की बातों पर यकीन हो गया! अपने भक्तों के कष्ट हरने वाले बाबा के अनेक चमत्कार है।