राजस्थान विधानसभा में दादी को लेकर दिये गये एक बयान पर पूरी की पूरी कांग्रेस सडक पर है। मंत्री का दोष इतना भर है कि वो कांग्रेस में नही है।
दादी कोई अपमान जनक शब्द नहीं ये तो विरोध करने वाले भी जानते है परंतु क्या करें जब आदेश जनपथ से आया हो! जब मीडिया का एक वर्ग इसी परिवार की महिला को राजनीति में स्थापित करने के लिए “दादी जैसी नाक,दादी जैसी हेयर स्टाइल”, “दादी जैसी दिखने वाली! की खबरे प्राइम रिपोर्टिंग में दिखाई तब कोई कुछ नहीं बोला। आज बबाल मचा रहा है संभवत ये प्री-प्लान है।
दादी को दादी नहीं बोले तो क्या बोले? ये सवाल आमजन ही नही कांग्रेसी भी पूछ रहे है दबे मन से।
राजस्थान विधानसभा में सामाजिक न्यायमंत्री अविनाश गहलोत ने काँग्रेस नेताओं पर तंज कसा, आपकी दादी इंदिरा गांधी के नाम पर बहुत योजनाएं रखी गईं थीं। इस पर हँगामा हो गया।
लेकिन सच तो ये है कि दादी तो थीं देश की प्रधानमंत्री और विश्व की आयरन लेडी भी थी इंदिरा गांधी! राजनीति में ऐसा कोई दादा भी शायद ही हुआ हो।
ऐसी दादी थी कि मजाक उड़ाने वालों के पास भी आज तक एक ऐसी दादी नहीं हुई!
ऐसी दादी थी कि गले में 24 घंटे रुद्राक्ष की माला और सर पर पल्लू रखती थी और समय-समय पर देश के हिंदू धर्म के महान जगतगुरु शंकराचार्यो के यहां जाकर देश की प्रगति के लिए उनसे राय लेती थी
ऐसी दादी थी कि पाकिस्तान के दो टुकड़े कर उसकी कमर तोड़ दी और 1971 में युद्ध करके बांग्लादेश बना दिया। दादी ने दुनिया का नक्शा ही बदल दिया। और उसे समय विश्व के सबसे ताकतवर अमेरिका के राष्ट्रपति निक्सन की चेतावनी को भी नजरअंदाज कर दिया
उस समय के लोकसभा में विपक्ष के नेता अटल बिहारी वाजपेई ने उन्हें इसी लिए दुर्गा का रूप दिया था
ये दादी ऐसी की थी कि इसके चरणों में 90,000 पाकिस्तानी सैनिको ने आत्मसमर्पण किया था । यह विश्व इतिहास का सबसे बड़ा आत्मसमर्पण माना जाता है।
ये ऐसी दादी थी कि अमेरिका के राष्ट्रपति निक्सन ने पांच मिनट इंतजार करवाया तो इस दादी ने 1971 में उस बेहद ताक़तवर नेता को 45 मिनट इंतज़ार करवाकर सबक सिखाया। और एक बार तो बिना मिले ही भारत आ गई और अमेरिका के राष्ट्रपति निक्सन को एहसास कर दिया तू दुनिया का दादा है तो भारत भी कोई कम नहीं।
यह ऐसी दादी थी कि इसने 1974 में ही पोकरण में परमाणु परीक्षण कर डाला था और भारत को परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र बना कर पूरे विश्व को हास्य चकित कर दिया था
ये ऐसी दादी थी कि भारत के गरीब व मध्यम वर्ग के हितों की रक्षा के लिए न अपने बाप से डरती थी और न किसी और के बाप से।
यह ऐसी दादी थी कि 1959 में पिता जवाहरलाल नेहरू ने लोकतंत्रवादी मर्यादा का उल्लंघन करने की बात सोचने तक से मना कर दिया; लेकिन इस दादी ने अपनी हट पर उतर कॉमरेड ईएमएस नंबूदिरीपाद के नेतृत्व में दुनिया की पहली निर्वाचित केरल सरकार को अपदस्थ करते हुए संविधान के अनुच्छेद 356 के छुरे से पूरे देश की आँखों के सामने जम्हूरियत को जिब्ह कर डाला।
यह ऐसी दादी थी कि बैंकों और कोयला उद्योग का राष्ट्रीयकरण कर डाला और आम जनता में नहीं, पूंजीपतियों में हा-हा कार मचा दिया। इस दादी की दादागीरी ने उद्योगपतियों को हमेशा झुकाया ही झुकाया, कभी भी झुलाया नहीं।
इस दादी ने दादागीरी करते हुए 1969 में 14 बड़े निजी बैंकों और 1973 में कोयला उद्योग का राष्ट्रीयकरण कर डाला। इससे पहले भारत की अर्थव्यवस्था पर टाटा, बिड़ला और अन्य बड़े उद्योगपतियों का नियंत्रण था।
वह ऐसी दादी थी कि कोई उद्योगपति उसे अपनी कठपुतली बनाने की सोच भी नहीं सकता था।
इस दादी की दबंगई का यह हाल था कि देश के राजघरानों के प्रिवीपर्स बंद कर सारे सुविधा छीन कर आम नागरिक बना दिया । जयपुर में तो महारानी गायत्री देवी के महलों तक को खोद डाला था।
यह ऐसी दादी थी कि बिना टेलीप्रॉम्प्टर और बिना कागज पर देखे धाराप्रवाह भाषण देती थी और पिछले दरवाजे के बजाय सीधे ही चौड़े-धाड़े खेलती थी
यह दादी जो करती थी, खुले आम करती थी।
यह ऐसी दादी थी कि छोटे-छोटे लोगों को जेलों में नहीं डालती थी। इस दादी ने अघोषित नहीं, पूरी तरह घोषित करके आपातकाल (1975-77) लगाया और अपने पिता के समकक्ष जयप्रकाश नारायण जैसे स्वतंत्रता सेनानियों और देश के शीर्ष नेताओं, पत्रकारों, बुद्धिजीवियों सहित एक लाख से अधिक लोगों को एक साथ जेल में डाल दिया।
इस दादी का ऐसा खौफ़ था कि राष्ट्रपति को कहना पड़ा कि आप कहेंगी तो मैं झाड़ू भी लगाने को तैयार हूँ। पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष तो जगह-जगह कह रहा था कि इंदिरा इज़ इंडिया, इंडिया इज़ इंदिरा!
ऑपरेशन ब्लू स्टार के बाद जब उन्हें कहा गया कि आपके सिख अंगरक्षक आपके लिए खतरा हैं तो उन्होंने उन्हें हटाने से मना कर दिया और तत्कालीन डीजी को कहा कि यह मेरे बच्चे के समान है पिछले 25 सालों से मेरी सेवा,रक्षा कर रहे हैं एक सुबह उन्हीं के हाथों वे मारी भी गईं! लेकिन यह दु:साहस किसी मां की ममता वाली दादी में ही हो सकता है। क्या आज की राजनीति में है कोई ऐसा दबंग नेता?
इस दादी ने न कभी धर्म की आड़ ली और ना कभी एजेंसियों की ओट। ओर ना देश के पत्रकारों को खरीदा जो किया, जैसे किया, जब किया, धमक और दादीगीरी से किया।
इस दादी का ऐसा ख़ौफ़ था कि कांग्रेस के बड़े-बड़े नेता, मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री मिलने से पहले 100 बार विचार करते थे
ईश्वर से प्रार्थना है कि ऐसे ही ताकतवर नेता भारत को फिर से मिले ।